रांची: झारखंड चुनाव की जंग अब अपनी सरहदों को पार करने पर आमदा है। आज सीएम के प्रस्तावक मंडल मुर्मु के बीजेपी में आ जाने के बाद हिमंता बिस्वा ने पोस्ट किया कि भाजपा अगर चाहती तो श्री हेमंत सोरेन के नामांकन को चुनौती दे सकती थी, क्योंकि उनके प्रस्तावक हमारे पार्टी में शामिल हो चुके हैं। लेकिन हम चुनाव के माध्यम से उन्हें हराएंगे। वहीं इसके जवाब में जेएमएम की आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से झामुमों ने हिमंता बिस्वा की कमजोर हिन्दी भाषा उच्चारण का मजाक उड़ा कर पोस्ट किया कि क्या जी, @himantabiswa जी, कभी ‘सुनाव’ लड़े हैं कि नहीं? या जैसे दल-बदलु बनकर असम में आदिवासी नेता से सीएम की कुर्सी हथिया ली थी, वैसे ही सुनाओं में भी यही करते हुए आये हुए हैं आप? चुनाव में एक उम्मीदवार के कितने प्रस्तावक होते हैं जी? संविधान ने भजापाई किडनैपरों की चाल को नाकाम करने के लिए ही चार-चार प्रस्तावकों का प्रावधान रखा है। गुजरात और असम मॉडल के तर्ज पर भाजपा ने तो अब चुनाव में धड़ल्ले से लोगों की चोरी भी करना शुरू कर दिया है।
झारखण्ड सब देख रहा है कि सुनाव में बाहरी क्या कर रहा है हिमंता जी। वहीं इस प्रकार अपने नेता का अपमान देख कर बीजेपी ने भी जेएमएम पर पलटवा करते हुए कहा कि अपने निश्चित हार को देखकर झारखंड मुक्ति मोर्चा बदहवास हो गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड की सबसे भ्रष्ट सरकार का जाना तय है। असम के मुख्यमंत्री पर उनकी टिप्पणी इनकी घटिया पारिवारिक और पार्टी की परवरिश को दिखाता है। नॉर्थ ईस्ट के लोग का झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपमान किया है। जरा एक बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन असम जाकर असमिया भाषा बोलकर दिखाएं तो। हेमंत विश्व शर्मा जी कम से कम हिंदी बोल लेते हैं, हेमंत सोरेन जी तो मुंह ही ताकते रह जाएंगे। सिद्धू कान्हू के वंशज और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रस्तावक मंडल मुर्मू का भाजपा का दामन थामना दिखा रहा है कि इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा का सूपड़ा साफ होने वाला है। जब मुख्यमंत्री के प्रस्तावक ही उनके साथ नहीं रहे तो आम जनता क्या रहेगी? लूट, फरेब और झूठ के बुनियाद पर बने हेमंत सरकार का अंत निश्चित है। हेमंत सरकार में दलाली खाने वाले लोगों का लाल कोठी इंतजार कर रही है