रांची: झारखंड के स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा झारखंड की राजनीति का केद्र बिंदु बनते जा रहें। 15 नवंबर झारखंड दिवस के अवसर पर एक ओर जहां पूरा झारखंड उत्सव में लीन था वहीं केंद्र सरकार ने झारखंड के लोगों की भावना और भारत के स्वतंत्रता सेनानी के सम्मान में दिल्ली के सर्वाधिक व्यस्त चौक सराय कालें खां चौक का नाम बदल कर बिरसा मुंडा चौक कर दिया गया। इस फैसले के बाद झारखंड में भी राजनीतिक हलचल देखने को मिली। जेएमएम ने केंद्र सरकार के इस फैसले को धरती आबा का अपमान बता कर ट्वीटर पर पोस्ट किया कि यह कदम तुरंत वापस होना चाहिए। भगवान बिरसा को उनके कद के हिसाब से सम्मान मिले वरना हूल-उलगुलान होगा। वहीं बीजेपी ने इस हूल उल्गुलान को जेएमएम के पेट का दर्द बताया। इसे लेकर बीजेपी ने पोस्ट कर कहा कि दिल्ली के सरायकाले खां चौक का नाम बदलने से कुछ लोगों के पेट में दर्द हो रहा है और ऐसा होना जरूरी भी है। आजादी के 7 दशक बाद भी हमारे वीर आदिवासी शहीदों को वो सम्मान नहीं मिल पाया जिसके वो हकदार थे। हमारी आने वाली पीढ़ी भगवान बिरसा मुंडा के जीवन से प्रेरणा ले सके इसके लिए दिल्ली के सरायकाले खां चौक पर धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है। सरायकेला खां चौक से हर रोज करीब 25 लाख लोग गुजरते हैं। इतना ही नहीं RRTS, ISBT, पूर्वी दिल्ली, अक्षरधाम, मेरठ, नोएडा, मेट्रो स्टेशन, यमुना नदी पर बने पुल और बारापुला फ्लाईओवर से गुजरने वाले लाखों लोगों को भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा के दर्शन करेंगे और भगवान बिरसा मुंडा की उस गौरव गाथा से परिचित होंगे जिसे अब तक वामपंथियों, कांग्रेसियों और सेकुलरिस्ट कीड़ों ने दबा कर रखा हुआ था।
पूरा भारत जानता है कि धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा सदैव भाजपा के लिए पूज्य रहे हैं। ये मोदी सरकार ही है जिसने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को जनजातीय गौरव वर्ष घोषित किया है। आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने भगवान बिरसा मुंडा की पवित्र जन्मस्थली की पावन मिट्टी को मस्तक पर सजाकर उलिहातू से ही आदिवासी समाज के लिए जन-मन जैसे महाअभियान की शुरुआत की। मोदी सरकार ने देशभर में जनजातीय योद्धाओं और सेनानियों की स्मृति में 20 से अधिक संग्रहालय बनाने के पवित्र अभियान की भी शुरुआत की है। ये भाजपा ही है जिसने देश को पहली बार आदिवासी समाज से राष्ट्रपति दिया और अलग जनजातीय कार्य मंत्रालय बनाया। 65,000 करोड़ आदिवासी गांवों के विकास के लिए दिए। एकलव्य मॉडल स्कूलों के माध्यम से आदिवासी समाज के बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाया जा रहा है। कांग्रेस की सरकार में जनजाति कल्याण के लिए सिर्फ 28,000 करोड़ रुपए का बजट था, जबकि मोदी सरकार ने वर्ष 2024-25 के बजट में आदिवासियों के विकास के लिए 1 लाख 33 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। वहीं टवीटर पर एक और युजन ने जेएमएम के ट्वीट के जवाब में लिखा कि जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम और अकबर रोड का नाम भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर रखने का प्रस्ताव लाएं हेमंत सोरेन जी । भरपूर समर्थन मिलेगा। सोरोस के दलाल की संगत में पड़कर एक महामानव को मिले सम्मान का विरोध करना बंद करो। भगवान बिरसा मुंडा के आदर्शों को आत्मसात करते हुए भाजपा ने ऐसे तमाम फैसले लिए हैं और आगे भी लेती रहेगी। लेकिन हेमंत सोरेन, आप अपने सहयोगी दल कांग्रेस द्वारा आजादी के बाद से अभी तक झारखंड के आदिवासियों और धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा जी के सम्मान में किया एक भी काम गिनवा दीजिए?