रांची: आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने भाजपा के (रोटी,बेटी,माटी) के चुनावी नारे पर अपनी प्रतिक्रिया में उक्त बाते कही। इन्होंने यह भी कहा कि झारखंडी समाज के जल, जंगल, जमीन बचाओ के ऐतिहासिक नारो के जगह भाजपा चुनावी नया नारा‘ रोटी, बेटी और माटी’चलाने की कोशिश में लगी है। देश के प्रधानमंत्री एंव भाजपा के स्टार चुनाव प्रचारक के रुप में मोदी जी ने हजारीबाग में ‘रोटी,बेटी और मार्टी’ के चुनावी नारे के साथ झारखंड में विधानसभा चुनाव का शंखनाद किया है जो आदिवासी मूलवासी समाज जो जल,जंगल, जमीन बचाने के लिए आन्दोलनरत लोगो के लिए शुभ संकेत नही है।
नायक ने आगे कहा की इस नारे के पीछे एक षडयंत्रपूर्ण कूटनीति है जिसके तहत‘जल, जंगल, जमीन’के नारों को ‘रोटी, बेटी और माटी’के नारे में विलुप्त कर देने का षडयंत्र है। इस नारे ने यह भी पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है कि झारखंड में संघर्ष दो विचारधाराओं के बीच है एक जल, जंगल, जमीन बचाने वाले है तो दुसरी ओर इन सम्पदाओं को लुटने वाले है। इन्होने यह भी कहा कि जल, जंगल, जमीन आदिवासी- मूलवासी समाज का जीवन मरण का प्रश्न है और जीने का आधार भी है और उनकी स्पष्ट समझ है कि यदि यह बचा रहेगा तो उन्हें कभी भी किसी का मोहताज नहीं होना पड़ेगा। इसलिए सदियों से वे इसके लिए संघर्ष भी करते रहे हैं। सिदो, कान्हू, चांद, भैरव, फुलो, झानो, तिलका मांझी, बिरसा मुंडा, बुदधु भगत और अन्य झारखंडी वीर शहीदों के नेतृत्व में चला आंदोलन’इसी संघर्ष को रेखांकित करता हैं।
नायक ने आगे कहा कि झारखंड अलग राज्य का आंदोलन भी जल, जंगल, जमीन और अपनी अस्मिता संस्कृति को बचाने का ही संघर्ष था। तपकारा, कोयलकारो, नेतरहाट में चल रहा फायरिंग रेंज के खिलाफ आंदोलन इसी बात को साबित करता है कि झारखंड का मूल संघर्ष जल, जंगल, जमीन को बचाने का संघर्ष रहा है। क्योंकि इसी जल, जंगल, जमीन की बदौलत आदिवासी मूलवासी समाज कभी दुर्भिक्षा का शिकार नहीं होता। यदि यह बचा है और इस पर आदिवासियों मूलवासियों का अधिकार सुरक्षित है तो ‘रोटी’का संकट उसके लिए कभी नहीं होगा। इन्होने भाजपा नेताओ पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वैसे भी, बेटियों की सुरक्षा भाजपा क्या करेंगी जो बलात्कारियों को माला पहनाते हैं, वोट की टुच्ची राजनीति के लिए राम रहीम जैसे बलात्कारी को पेरोल पर जेल के बाहर भीतर करते रहते हैं, भारतीय महिला पहलवानों को ब्रजभूषण जैसे दुराचारी से बचाने के बजाय उसे बचाने के लिए एड़ी चोटी एक कर देते हैं।
आदिवासी मूलवासी समाज में बेटियां बोझ नहीं मानी जाती। वैसे में संघ और भाजपा परिवार और उसकी राजनीतिक सत्ता बेटियों की सुरक्षा की बात करे, तो यह हास्यास्पद ही है। दरअसल, मोदी जी और उनकी भाजपा पार्टी ‘रोटी, बेटी और माटी’के नारे से‘जल, जंगल, जमीन; के नैरेटिव को ही हमेशा के लिए दफन कर देना चाहती हैं। क्योंकि वे जानते है की जल, जंगल जमीन को बचाने का संघर्ष जब तक जारी रहेगा, तब तक वे इसे सौगात की तरह अपने कारपोरेट यारों अडाणी को हंसदेव जंगल जैसे दिये है वे झारखंड मे सारंडा जंगल कैसे दे पायेंगे। झारखंड में भाजपा की सारी मशक्कत झारखंड के जल,जंगल, जमीन को अपने कारपोरेट यारों अडाणी को कैसे दे इसी बात के लिए है
नायक ने आगे यह भी कहा कि मणिपुर के आदिवासी अपनी अस्मिता के लिए लड़ रहे हैं। लद्दाख के आदिवासी छठी अनुसूचि के लिए शांतिमय संधर्ष कर रहे हैं। क्या झारखंड के आदिवासी पांचवी अनुसूचि को बचाने के लिए कटिबद्ध होंगे या ‘रोटी, बेटी, माटी’के फरेब से भरे नारे में ‘जल, जंगल, जमीन’ को बचाने के लिए अनादि काल से चले आ रहे संघर्ष को भूल जायेंगे? इन्होने झारखंड के सभी दलित आदिवासी मूलवासी समाज से अपील किया की अभी मौका है कि वोट की चोट से भाजपा को इसका जवाब दें और जल, जंगल, जमीन’को बचाने के लिए अनादि काल से हमारे पूर्वजो के द्वारा किये जा रहे संघर्ष को गति दे।