रांची: झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम में रहने वाले आदिवासी “हो” समाज के “हो” भाषा (वारंग क्षिति लिपि) को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किये जाने को लेकर झारखंड के पूर्व सीएम चम्पई सोरेन व असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने गृहमंत्री से आग्रह किया है। इस सांकृतिक भाषा को लेकर चम्पई सोरेन ने अमित शाह को पत्र लिखा। अपने पत्र में चम्पई ने लिखा कि ‘आदिवासी ‘हो’ समाज की वर्षों से मांग रही है की ‘हो’ भाषा (वारंग क्षिती लिपी) को भारतीय संविधान की आठवीं सूची में शामिल किया जाना चाहिए।
इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी ही समाज युवा महासभा की ओर से 14 सितम्बर 2024 को जंतर-मंतर, पार्लियामेंट स्ट्रीट, नई दिल्ली में धरना प्रदर्शन भी किया गया है। इसे लेकर चम्पई ने अपने पत्र में जिक्र किया है कि ‘हो’ भाषा सबसे प्राचीन भाषाओं मे से एक है और ये ऑस्ट्रो-एशियाई पारिवारिक भाषाओं का हिस्सा है। ‘हो’ भाषा की वारंग क्षिती लिपी नाम की विशेष रूप से डिजाइन की गई लिपि है।
इस भाषा का इस्तेमाल झारखंड के विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम में किया जाता है। इसकी किताबें देवनाहरी, ओडिया, बांग्ला और वारंग क्षिती लिपी लिपी में भी प्रकाशित हुईं हैं। आदिवासी ‘हो’ समाज युवा महासभा की ओर से विशेष अनुरोध भी किया गया है कि इनकी उक्त मार्ग पूरी की जानी चाहिए. इसलिए मैं पूरी कामना के साथ अनुरोध करता हूं की समाजहित में आप हमारे आदिवासी ‘हो’ समाज की ‘हो’ भाषा (वारंग क्षिती लिपी) को भारतीय संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने के लिए उचित एवं आवश्यक कार्रवाई करना चाहेंगे, इसके लिए हमारे आदिवासी हो समाज के लोग आपके सदैव आभारी बने रहेंगे.’ वहीं हो भाषा को लेकर असम के सीएम हिमंता बिस्वा ने भी गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
उन्होंने कहा कि झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम में रहने वाले आदिवासी “हो” समाज के परिवारजनों की कई वर्षों से माँग थी कि “हो” भाषा (वारंग क्षिति लिपि) को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। इस संदर्भ में, कल मैंने आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा और अखिल भारतीय हो भाषा एक्शन कमेटी के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी से मुलाकात की। माननीय गृह मंत्री ने इस प्रतिनिधिमंडल की बात सुनी और आश्वासन दिया कि भारत सरकार उनकी इस माँग पर विचार करेगी। साथ ही यह भी कहा कि मोदी सरकार देश के हर समाज की संस्कृति को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है।