रांची: सीएम हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। अपने पत्र में उन्होंने कोल कंपनियों पर बकाया 1.36 लाख करोड़ की राशि को दिलाने का आग्रह किया है। इसके लिए सीएम ने पीएम को दो विकल्प भी दिए हैं। पहला जब तक बकाया राशि का भुगतान किस्तों में नहीं हो जाता, तब तक कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों को ब्याज राशि का भुगतान करना शुरू किया जाये। दूसरा भारतीय रिजर्व बैंक में कोल इंडिया के खाते में जमा राशि से झारखंड राज्य को सीधे डेबिट कराया जाये। जैसा कि झारखंड राज्य बिजली बोर्ड के साथ डीवीसी के बकाया मामले में किया गया था। अपने पत्र में हेमंत ने आगे लिख कि बकाए राशि के भुगतान हो जाने से प्रदेश में गरीबी से लड़ने और लोगों के जीवन स्तर को सुधारने में मदद मिलेगी।
इसलिए बकाया का भुगतान जल्द शुरू कराया जाये, ताकि झारखंड के लोगों को परेशानी न हो। इस पत्र में हेमंत सोरेन ने खनन रॉयल्टी पर सुप्रीम कोर्ट के पिछले दिनों के एक फैसले का हवाला भी दिया है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि राज्यों को खनिज युक्त जमीन पर रॉयल्टी के लिए पिछला बकाया वसूलने का अधिकार है। हेमंत ने लिखा कि जब झारखंड की बिजली कंपनी के स्तर से डीवीसी को बकाया राशि के भुगतान में थोड़ी देरी हुई थी, तब झारखंड के आरबीआई खाते से 12 प्रतिशत की दर से ब्याज वसूला गया। सीएम ने कहा कि बकाया भुगतान की नीति में अंतर है और यह अंतर बकाया ”जो हमारे द्वारा देय हैं” और ”जो हमें देय है” में एक विरोधाभास को दर्शाता है। यह मनमानी है, जो राज्य को बहुत ही वंचित स्थिति में डालता है। सीएम ने कहा है कि अगर कानून हमें राजस्व एकत्र करने की अनुमति देता है, तो इसे राज्य को भुगतान किया जाना चाहिए। कोल कंपनियों के बकाया पर 4.5 फीसदी की दर से साधारण ब्याज की गणना करने पर राज्य को देय ब्याज राशि 510 करोड़ रुपये प्रति माह होगी। यदि डीवीसी बकाया के संबंध में झारखंड राज्य से वसूले गये ब्याज के मामले में समानता के आधार पर चलते हैं, तो ब्याज 1100 करोड़ रुपये प्रति माह हो जाता है। अपने पत्र में सीएम ने कोल कंपनियों से बकाया राशि की मांग की है बता दें इससे पूर्व भी सीएम केंद्र को पत्र लिख चुके हैं।