रांची: टेरर फंडिंग मामले में एनआईए की सितंबर 2018 में छापेमारी में आरोपी व्यवसाई सुदेश केडिया के पास से बरामद 9 लाख 95 हजार रुपए की वापसी को लेकर दायर याचिका की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट में हुई। बता दें चतरा के टंडवा स्थित मगध व आम्रपाली कोल परियोजना से जुड़े सुदेश केडिया के आवास सह कार्यालय से छापेमारी के दौरान एनआईए को 9 लाख 95 हजार रुपए बरामद हुए थे। इस मामले में हाई कोर्ट की खंडपीठ ने प्रार्थी एवं एनआईए का पक्ष सुनने के बाद मामले में सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि एनआईए की छापामारी में सुदेश केडिया के आवास से बरामद 9 लाख 95 हजार रुपए उनके व्यवसाय का है, यह टेरर फंडिंग का पैसा नहीं है। इस पैसे से कर्मियों को सैलरी दी जानी थी। इसलिए एनआईए द्वारा बरामद 9 लाख 95 हजार रुपए को उन्हें वापस दिलाया जाए।
बता दें कि टेरर फंडिंग से जुड़े केस में रांची की एनआइए की विशेष अदालत में सुनवाई जारी है। एनआइए ने टंडवा थाना में दर्ज कांड संख्या 2/2016 को फरवरी 2018 को टेकओवर किया था। अनुसंधान के बाद एनआइए ने मामले में 17 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। मामले में कई आरोपियों के खिलाफ आरोप गठित हो चुका है। इधर एनआइए ने जांच के दौरान यह पाया है कि सीसीएल, पुलिस, उग्रवादी व शांति समिति के बीच समन्वय से टेरर फंडिंग हो रही थी। तृतीय प्रस्तुति कमेटी (टीपीसी) को फंड देने की पुष्टि हुई है। टीपीसी को लेवी देने के लिए ही उसने ऊंची दर पर मगध और आम्रपाली प्रोजेक्ट से कोयला ढुलाई का ठेका लिया था।
बताते चलें कि टेरर फंडिंग मामले के आरोपियों में आधुनिक पावर के तत्कालीन महाप्रबंधक महेश अग्रवाल, बीकेबी ट्रांसपोर्ट के उपाध्यक्ष विनीत अग्रवाल, सोनू अग्रवाल उर्फ अमित अग्रवाल, कारोबारी सुदेश केडिया, ट्रांसपोर्टर सुधांशु रंजन उर्फ छोटू सिंह, अजय सिंह, मास्टरमाइंड सुभान खान, टीपीसी के जोनल कमांडर आक्रमण उर्फ रवींद्र गंझू उर्फ नेताजी, क्षेत्रीय कमांडर ब्रजेश गंझू उर्फ गोपाल सिंह भोक्ता, बिंदेश्वर गंझू उर्फ बिंदु गंझू, भीखन गंझू उर्फ दीपक गंझू, प्रदीप राम, विनोद गंझू, मुनेश गंझू, बीरबल गंझू, मुकेश गंझू उर्फ मुनेश्वर गंझू, कोहराम एवं अनिश्चय गंझू शामिल हैं।