रांची: सोमवार को उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि संथाल के डीसी यह बता रहे हैं कि वहां बांग्लादेशी मूल के लोगों की घुसपैठ नहीं हुई है, लेकिन आदिवासियों की घटती संख्या के पीछे क्या वजह है, यह नहीं बताया गया है। इस टिप्पणी के बाद सियासी गलियारा धधक उठा है। इस मुद्दे को लेकर बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन पर सीधा निशाना लगाते हुए उनपर आरोप लगाया है कि उनके इशारे पर संथाल में बांग्लादेशी घूसपैठ की सच्चाई को छुपाया जा रहा है। बाबूलाल ने अपने ट्वीट में कहा कि झारखंड में आदिवासियों की घटती आबादी एक कड़वी सच्चाई है।
हालिया कुछ सालों के दौरान बांग्लादेशी मुसलमानों के अप्रत्याशित घुसपैठ के कारण आदिवासी समाज की आबादी में निरंतर गिरावट आई है, जिस पर चिंता व्यक्त करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने संथाल परगना के उपायुक्तों से जवाब मांगा था। लेकिन आदिवासियों की घटती आबादी की हकीकत को छुपाकर हेमंत सोरेन के इशारे पर संथाल परगना के 6 जिलों के उपायुक्तों ने माननीय उच्च न्यायालय को गुमराह करने का काम किया है। आखिर हेमंत सोरेन जी इस सच्चाई को आदिवासी समाज से छुपाकर उन्हें अंधेरे में क्यों रखना चाहते हैं? क्या हेमंत सोरेन जी का शासन-प्रशासन भी आदिवासियों को मिटा देना चाहता है? बताते चलें कि बाबूलाल ने संथाल परगना के डीसी एस पी सहित प्रशासन को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि उनके द्वारा दी गई रिपोर्ट में सच्चाई को छुपाया गया है। संथाल में आदिवासियों की हकीकत को न्यायालय तक नहीं पहुंचने दिया जा रहा। वहीं हेमंत सरकार पर प्रशासनिक कार्य में प्रभाव डालने का भी आरोप लगाया है। मालूम हो कि पिछले कई दिनों से संथाल परगना में डेमोग्राफी चेंज के मुद्दे को पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी प्राथमिकता के साथ उठा रहें है। झारखंड के प्रथम सीएम व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मॉनसून सत्र के दौरान भी इस मुद्दे को लेकर पूछा था कि क्या झारखंड में भी एक मिनी पाकिस्तान बन रहा है। वहीं अब न्यायालय में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई पर घूसपैठ के मुद्दे को लेकर अदालत ने भी अपनी टिप्पणी में कहा है कि आदिवासियों की घटती संख्या के पीछे क्या वजह है, यह उपायुक्तों ने नहीं बताया गया है।