धनबाद के निरसा शिवलीबाड़ी स्थित जामा मस्जिद में रविवार को एक बैठक के बाद तुगलकी फरमान जारी किया गया। बैठक में क्षेत्र के सभी इमाम और अवाम शामिल हुए। जहां उपस्थित सदस्यों ने यह राय मशवरा किया कि इस्लाम के अनुसार निकाह में बैंड-बाजा, डीजे, रिकार्डिंग, आतिशबाजी हुई तो मौलाना निकाह नहीं कराएगा। रात्रि 11 बजे तक निकाह हो जाना चाहिए अन्यथा निकाह अगर किसी कारण वश देरी हुई तो निकाह अगले दिन सुबह फजर के नमाज के बाद निकाह पढ़ी जाएगी। अगर इस कानून को नहीं माना गया तो जो भी दोषी पाऐ जाएंगे उनपर कमेटी द्वारा ₹ 5100/- का जुर्माना और कमेटी से माफी मांगने की बात कही गई है।
यह कानून दो दिसम्बर जुम्मे के दिन से लागू होगा
जब इस मुद्दे पर शिवलीबाड़ी जामा महजिद के इमाम मौसूद अख्तर कादीर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आज के इस फैशन के दौर में शादी विवाह में लोग अपने दिखावे के लिए जरूरत से ज्यादा खर्च करते हैं और हमारा इस्लाम यह कभी नहीं कहता है कि शादी विवाह में गाजे बाजे और आतिशबाजी में फिजूल खर्च करें। इस कानून को लागू करने को लेकर सभी के साथ बैठक की गई है और सभी का विचार विमर्श से यह निर्णय हुआ कि यह कानून दो दिसम्बर जुम्मे के दिन से लागू हो जाऐगा। जिनकी भी लड़के और लडकिया का निकाह हो तो अपने रिश्तदारों को सूचित कर दे कि यह नियम लागू हो चुका है और इस नियम के तहत निकाह होगी अन्यथा समाज की ओर से दण्ड का प्रावधान लागू हो गया है।