धनवार विधानसभा सीट पर इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प और रोमांचक होने वाला है, क्योंकि यहां पर BJP प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। बाबूलाल मरांडी ने 2019 में झाविमो (झारखंड विकास मोर्चा) के टिकट पर चुनाव जीतकर इस सीट पर अपनी पकड़ बनाई थी, लेकिन इस बार वह बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में हैं। ऐसे में उनके लिए यह चुनाव एक बड़ा चुनौती साबित हो सकता है, क्योंकि अब वह अपनी पार्टी की प्रतिष्ठा के साथ-साथ अपनी व्यक्तिगत सियासी ताकत भी साबित करना चाहेंगे।
धनवार विधानसभा सीट का सियासी समीकरण:
- बाबूलाल मरांडी (बीजेपी): बाबूलाल मरांडी झारखंड में एक महत्वपूर्ण और सशक्त नेता माने जाते हैं। उनकी प्रतिष्ठा को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं क्योंकि 2019 में वे झाविमो के उम्मीदवार के तौर पर जीते थे, जबकि इस बार वह बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं। बीजेपी की यह सीट उनके लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगर वह यहां से जीतते हैं तो पार्टी की सियासी स्थिति को मजबूत करेंगे।
- निजामुद्दीन अंसारी (जेएमएम) : झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने निजामुद्दीन अंसारी को धनवार सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। अंसारी पूर्व में इस सीट के विधायक रह चुके हैं और उनका क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है। उनके पास आदिवासी और मुस्लिम समुदाय का समर्थन हो सकता है, जो उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बना सकता है।
- राजकुमार यादव (माले): राजकुमार यादव भी चुनावी मैदान में हैं। माले पार्टी का प्रभाव खासकर सामाजिक न्याय और वंचित वर्गों पर आधारित है। उनके पास स्थानीय समुदाय का समर्थन है और वे जेएमएम और बीजेपी के लिए एक चुनौती बन सकते हैं। उनका मुद्दा आमतौर पर मजदूरों, किसानों और ग्रामीण समुदायों से जुड़ा होता है, और इस कारण वे धनवार के कुछ वर्गों में लोकप्रिय हो सकते हैं। लेकिन वो भी उन्हीं वोटर्स को प्रभावित करने की कोशिश में हैं, जो जेएमएम के वोटर हैं।
- निरंजन राय (निर्दलीय): निर्दलीय उम्मीदवार निरंजन राय भी इस सीट पर अपनी चुनौती पेश कर रहे थे। लेकिन चुनाव के ठीक पहले वे भाजपा के सम्पर्क में आ गए हैं।
मुख्य सियासी समीकरण:
जेएमएम और माले के बीच दोस्ताना संघर्ष : धनवार में जेएमएम और माले के बीच चुनावी मैदान में एक तरह का दोस्ताना संघर्ष (friendly contest) देखा जा रहा है। लेकिन चुनाव में जब उम्मीदवार आ गए तो संघर्ष दोस्ताना नहीं रहता। दोनों ही उम्मीदवार अपने लिए जोर लगा रहे हैं।
बीजेपी को राहत : बाबूलाल मरांडी के लिए इस बार के चुनाव में सीधी टक्कर नहीं मिल रही है। जेएमएम अपने उम्मीदवार के लिए जोर लगा रहा है तो दूसरी ओर माले के उम्मीदवार जेएमएम की उम्मीदों पर पानी फेर रहे हैं।