रांची: चतरा के जिला कल्याण पदाधिकारी सह तत्कालीन कार्यपालक दंडाधिकारी को राज्य सरकार ने झाप्रसे सेवा से बर्खास्त करने के दंड को यथावत रखा है। बता दें आशुतोष कुमार को रूपये की गड़बड़ी के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया था। सरकार की 27 सितंबर को हुई कैबिनेट की बैठक में उनकी अपील अभ्यावेदन को अस्वीकृत किया गया था, इसके बाद कार्मिक विभाग ने संकल्प जारी कर दिया है। मालूम हो कि उनके खिलाफ 2018 में ही आरोप पत्र गठित किया गया था। उनपर आठ आरोप लगे है जिनमें 43 बैंक अंतरण द्वारा कुल छह करोड़ अड़तालीस लाख रुपये की अनधिकृत रूप से निकासी करने का गंभीर आरोप लगाया गया है। इसके अलावा दो नवंबर 2017 में अग्नि कांड में रोकड़ पंजी व चेकबुक जलने की जानकारी वरीय पदाधिकारी को नहीं देने, अग्निकांड के बाद पूर्व से संचालित 12 बैंक खाते के विरूद्ध मात्र तीन बैंक खाते की राशिक दर्ज कर नया रोकड़ पंजी खोलने, छात्रवृति मद में प्राप्त राशि गलत तरीके से नाजिर के पारिवारिक सदस्यों के खाते में ट्रांसफर करने के साथ सेवानिवृत प्रखंड कल्याण पदाधिकारी चतरा मिथलेश मिश्र पर एक करोड़ 33 लाख पूर्व से ही समायोजन के लिए लंबित रहने के बावजूद श्री कुमार द्वारा मिथलेश मिश्र को 98 लाख के अग्रिम देने सहित आठ आरोप लगाये गये। पूरे मामले की जांच हुई उन्हें निलंबित भी किया, प्राथमिकी भी दर्ज की गयी। पूरे मामले की जांच के बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का दंड दिया गया। मामले पर उन्होंने अपील भी की थी जिसे अस्वीकृत कर दिया गया है। इसी के साथ्ज्ञ आज उन्हें बर्खास्त भी कर दिया गया।