रांची: झारखंड के गिरीडीह लोकसभा के अंतर्गत आने वाला डुमरी विधानसभा 2009 के बाद से झामुमों का गढ़ माना जाता है। इस क्षेत्र में कुर्मी जाती का वर्चस्व है। महतो उपनाम से संबंधित नेता ही यहां वोट लेते है। इस क्षेत्र में पिछले चार विधान सभा चुनाव में जगरनाथ महतो ही जीतते आए है। वहीं उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी उपचुनाव में जीत दर्ज की। ये तो हुई अब तक की बात लेकिन आगे की कहानी अभी बाकी है। जगरनाथ महतो के जाने के बाद उनकी पत्नी ने तो उनकी विरासत सम्भाल ली और जगरनाथ महतो के निधन के बाद संवेदना के दौर में डुमरी उपचुनाव में भारी मतों से विजयी भी रहीं परंतु अब डुमरी के हालात बदले बदले से लग रहें हैं। इसके कई कारण है। पहला तो ये है कि वहां महतो फैक्टर काम करता है। इसबार चुनाव में भाजपा जदयू झाविमो आजसू अलग नहीं एक हैं अर्थात प्रतिद्वंद्वी नहीं है। तीसरा जो सबसे चर्चित है वो है युवा नेता जयराम महतो । इन सबको देख कर कहा जा सकता है कि डुमरी अब बदलाव परिर्वतन को चुन सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो वर्ष 2019 के चुनाव में आजसू प्रत्याशी यशोदा देवी दूसरे स्थान पर रही थीं। उन्हें 36,840 (19।56 फीसदी) मत मिले थे। भाजपा प्रत्याशी प्रदीप साहू को 36013 (18।93 फीसदी) मत मिले थे। यानि दो दलों को मिला कर कुल 73 हजार मत प्राप्त हुआ था। जबकि लगातार चौथी दफा जीत दर्ज करने वाले झामुमो प्रत्याशी स्व जगरनाथ महतो को 71,128 (37।38 फीसदी) मत मिले थे।
जगरनाथ महतो के निधन के बाद वर्ष 2023 में हुए उप चुनाव में आजसू प्रत्याशी यशोदा देवी को करीब 82 हजार मत मिले थे। जबकि जीत दिवंगत जगरनाथ महतो की पत्नी बेवी देवी की हुई थी। इन आंकड़ो पर नजर डालें तो पाएंगे कि वर्ष 2019 में डुमरी की जनता कनफ्यूज थी आजसू की यशोदा देवी बीजेपी के लालचंद महतो और जेवीएम के एमडी समसुद्दीन के बीच वोट बंट गए थे वहीं वर्ष 2019 में ईंडी गठबंधन के लहत लड़ने वाले जगरनाथ महतो को महतो और मुस्लिम का संगठित वोट मिला था। इस बार परिस्थिति थोडी भिन्न है। देखा जाय तो यशोदा देवी को दूसरे स्थान पर पहुंचाने वाली जनता ने उनपर पूरा भरोसा दिखाया लेकिन विजय नहीं दिला सकी। वहीं बेबी देवी को जगरनाथ महतो के पारम्परिक वोटर का पूरा स्नेह मिला और वो विजयी हुई। बता दें उपचुनाव में डुमरी में कुल 51।76 प्रतिशत वोट पड़े। में झारखंड मुक्ति मोर्चा से बेबी देवी ने आजसु पार्टी के यशोदा देवी को 17153 वोटों के मार्जिन से हराया था। इस विधान सभा में झाविमो का भी कुछ वोट शेयरिंग रहा है। स्भाविक तौर पर अब झाविमों के वोटर एनडीए के पक्ष में जाएंगे वहीं जदयू के वोटर भी एनडीए को ही चुनना चाहेंगे। ऐसे में झामुमों के गढ़ में हलचल होती दिख रही है। बत दें भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, डुमरी की कुल जनसंख्या 5,639 थी, जिसमें से 2,935 (52%) पुरुष और 2,704 (48%) महिलाएं हैं। डुमरी में साक्षर व्यक्तियों की कुल संख्या 3,305 है।
उपचुनाव में झामुमो की बेबी देवी को 100,317 वोट मिले आजसू की यशोदा देवी को 83,164 वोट मिले थे। जबकि 2019 विधानसभा चुनाव परिणाम को देखें तो झामुमो के जगरनाथ महतो को 71,128 वोट मिले आजसू की यशोदा देवी को 36,840 वोट मिले बीजेपी के प्रदीप कुमार साहू को 36,013 वोट मिले थे। इन दोनों आंकडो को देखें तो साफ दिख रहा कि उपचुनाव में बीजेपी के वोट आजसू को गए है। वहीं इस बार डुमरी में टाईगर जयराम महतो का भी दबदबा देखने को मिल रहा है। बेबी देवी के नामांकन के दौरान सीएम ने भी अपने भाषण में कहा कि जब हम बीजेपी से नहीं डरे तो इन छोटी मोटी पार्टीयों से क्या डरेंगे। जयराम महतो डुमरी से चुनाव लड़ रहें हैं । कम समय में जनता के बीच अपनी पहचान बनाने वाले जयराम जगरनाथ महतो की तरह ही लोगों के बीच जाकर उनके सुख दुख में सक्रिय हैं। लगातार जयराम डुमरी में अपनी जनसभा कर रहें हैं। जयराम की पार्टी जेएलकेएम बड़ी सभाएं न कर के छोटी छोटी मोहल्ले लेबर की सभाएं कर रहें हैं।बहुत ही साधारण तरीके से डुमरी की जनता के बीच कम समय में अपनी पहचान बना चुके जयराम एनडीए और ईंडीया दोनो गठबंधनो को चुनौती दे रहें हैं। डुमरी में महतो फैटर ही काम करेगा यहां की जनता कुरर्मी नेतृत्व ही स्वीकार करना चाहती है। ऐसे में ये देखना बेहद रोमांचक होगा कि ईंडिया गठबंधन की बेबी देवी और एनडीए की यशोदा देवी के बीच जयराम अपना लोकतंत्र कितना मजबूत कर पाते हैं। वहीं डुमरी की जनता अपने पुराने नेता जगरनाथ महतो के नाम पर टिकी रहती है या उन्हें भी अब परिवर्तन चाहिए।