रांची: माननीय राज्यपाल-सह-झारखण्ड राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति का जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय, जमशेदपुर के द्वितीय दीक्षांत समारोह के अवसर पर अपनी गरिमामयी उपस्थिती से छात्रों का मनोबल दुगुना हो गया। इस दौरान उन्होने सभा को संबोधित भी किया उन्होने कहा कि जोहार! नमस्कार! देश के प्रमुख औद्योगिक नगरी एवं लौहनगरी से विख्यात जमशेदपुर में स्थित इस विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह के अवसर पर इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में आप सभी का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ। सर्वप्रथम, मैं आज डिग्री प्राप्त करने वाली सभी बेटियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ देता हूँ। उनके अभिभावक एवं समर्पित शिक्षक भी बधाई के पात्र हैं, जिनके त्याग एवं परिश्रम का आपकी उपलब्धि में अमूल्य योगदान रहा है। छात्राओं, आज का दिन आपके परिश्रम, समर्पण और संघर्ष की सफलता का प्रमाण है। आज का यह प्रमाण-पत्र केवल एक डिग्री नहीं, बल्कि आपके ज्ञान, प्रतिबद्धता और उत्तरदायित्व का प्रमाण है। आपको अपनी इस शिक्षा का उपयोग समाज और राष्ट्र के निर्माण में करना है।
आगे उन्होने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री हासिल करना नहीं, बल्कि ज्ञान हासिल कर, उस ज्ञान का समाज और राष्ट्र के कल्याण में उपयोग करना है। आप सब अपने अर्जित ज्ञान और कौशल का उपयोग कर समाज के विकास में अपनी भूमिका निभाएँ। मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय का कोल्हान क्षेत्र में एक विशेष स्थान रखता है। एक इंटरमीडिएट कॉलेज के रूप में अपनी शुरुआत से लेकर एक पूर्ण विश्वविद्यालय के रूप में विकसित होने तक यह संस्थान महिला सशक्तिकरण और बालिकाओं को उच्च शिक्षा हासिल करने हेतु प्रेरित करने की दिशा में सार्थक भूमिका का निर्वहन कर रहा है। यहाँ की कई पूर्ववर्ती छात्राओं ने अपने ज्ञान, कौशल एवं परिश्रम से विभिन्न क्षेत्रों में सफलताएँ अर्जित की है।
राज्य में महिलाओं की शिक्षा और उनकी सामाजिक-आर्थिक प्रगति अत्यंत आवश्यक है और हर्ष का विषय है कि यह विश्वविद्यालय इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। 1962 में महान दूरदर्शी एवं परोपकारी भारत रत्न जे.आर.डी. टाटा ने कॉलेज को शहर के मध्य में विशाल मैदान के साथ भवन उपलब्ध कराया। बुनियादी ढांचे के साथ, कॉलेज ने अपने अहम विकास चरण में प्रवेश किया। महिला शिक्षा के संदर्भ में, वे सभी महान व्यक्ति स्मरण किए जाएँगे, जिन्होंने शिक्षा, विशेषकर महिला शिक्षा और सामाजिक विकास को नया आयाम दिया। इस अवसर पर मैं वर्ष 2024 में दिवंगत हुए रतन टाटा जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ, जिन्होंने उद्योग जगत के साथ-साथ शिक्षा और समाज सेवा में भी अनुकरणीय योगदान दिया। वैश्वीकरण के इस युग में, हमारे विश्वविद्यालय परिवार के सभी सदस्यों को हमारी लड़कियों को सर्वोत्तम संभव शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए।
हमारा उद्देश्य ऐसा माहौल बनाना होना चाहिए जहां विश्वविद्यालय को हमारे राज्य और देश भर में लड़कियों की उच्च शिक्षा के लिए एक आदर्श केंद्र के रूप जाना जाय। इसी क्रम में, हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसी योजनाओं के माध्यम से महिला सशक्तिकरण और शिक्षा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने का कार्य किया है। इस योजना ने हमारी बालिकाओं को शिक्षा ग्रहण करने हेतु प्रेरित किया है और उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित किया है। उपाधिधारक बेटियाँ, सदा याद रखें, जैसे ही आप पेशेवर दुनिया में प्रवेश करें, अपना रास्ता समझदारी से चुनें और अनुशासन बनाए रखें। खुद पर विश्वास रखें और चुनौतियों को विकास के अवसर के रूप में देखें। आपने यहां जो मूल्य सीखे हैं वे भविष्य में आपका मार्गदर्शन करेंगे।
आपकी क्षमताएँ असीमित हैं। यदि आप अपने ज्ञान, परिश्रम और आत्मविश्वास का पूरा उपयोग करें, तो कोई भी बाधा आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती। अपनी प्रतिभा और दृढ़ संकल्प को सफलता के पीछे प्रेरक शक्ति बनने दें। ऐसा करके आप न केवल अपना और हमारे विश्वविद्यालय का नाम रोशन करेंगी, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित करेंगी। साथ ही, औद्योगिक नगरी जमशेदपुर की छवि पूरे देश में ‘महिला शिक्षा के उत्कृष्ट केंद्र’ के रूप में भी स्थापित कर सकती हैं। आज, हमारे देश भर में महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं। वे दिन गए जब महिलाएं पारंपरिक भूमिकाओं तक ही सीमित थीं। अब, महिलाएं डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, शिक्षक, प्रशासक और एथलीट के रूप में उत्कृष्टता हासिल कर रही हैं। नेल्सन मंडेला ने कहा है कि “शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं। बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के शब्दों में, “मैं किसी समाज की प्रगति को महिलाओं की प्रगति से मापता हूँ। हमारी बेटियों को शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए देखना मुझे गौरवान्वित करता है।
जब मैं विभिन्न विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में जाता हूँ तो अक्सर देखता हूँ कि पदक पाने वाली लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक होती है। कहा गया है कि- जब एक बेटी पढ़-लिख जाती है तो वह अपने पूरे परिवार और समाज को शिक्षित करती है। आज आप ज्ञान के एक नए पथ पर अग्रसर हो रही हैं। आत्मविश्वास, परिश्रम और निष्ठा आपके सबसे बड़े साथी हैं। मुझे विश्वास है कि झारखंड की ये बेटियाँ केवल राज्य ही नहीं, पूरे देश का गौरव बढ़ाएँगी। मैं विश्वविद्यालय परिवार के सभी शिक्षकों और कर्मियों को हार्दिक बधाई देता हूँ, जिन्होंने इस संस्थान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साथ ही, मैं उपाधि प्राप्त करने वाली सभी छात्राओं को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ देता हूँ। आप सभी से मेरी यही अपेक्षाएँ हैं कि आप अपने लक्ष्य की ओर निर्भीकता से बढ़ें, अपने आचरण और मेधा से समाज को आगे बढ़ाने में योगदान दें और एक अच्छे नागरिक के रूप में राष्ट्र के निर्माण में भागीदार बनें। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप सभी बेटियाँ अपने ज्ञान, परिश्रम और संकल्प से न केवल अपने परिवार, समाज और विश्वविद्यालय का नाम रोशन करेंगी, बल्कि माननीय प्रधानमंत्री जी के ‘विकसित भारत@2047’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएँगी। मेरा आशीर्वाद आप सभी के साथ है।
जय हिन्द! जय झारखण्ड!