लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हुए, जिसके नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित हुए। इसमें हरियाणा में भाजपा ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का मैंडेट हासिल किया है। यह जीत ऐसे वक्त में आई है, जब आने वाले दो महीनों में दो और राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। इसमें झारखंड और महाराष्ट्र में भी चुनाव होना है। अब चर्चा यह होने लगी है कि लोकसभा चुनाव में बहुमत पाने से पिछड़ने के बाद हरियाणा में बहुमत हासिल करने के बाद भाजपा के लिए झारखंड के चुनाव पर क्या असर पड़ेगा।
झारखंड में अभी झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के गठबंधन की सरकार है, जिसके मुखिया हेमंत सोरेन हैं। हेमंत सोरेन बीच के महीनों में मुख्यमंत्री नहीं थे और जेल में थे। जेल से लौटने के बाद हेमंत सोरेन एक तरह से चुनावी मोड में हैं। लुभावनी योजनाओं का पिटारा खोलकर चुनाव जीतने के प्रयास किए जा रहे हैं।
दूसरी ओर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में सरकार पर हमलावर है। भाजपा की कोशिश उन कमियों को उजागर करने की है, जहां सरकार को घेरा जा सके। योजनाओं की खामियों, कमियों को दिखाने का प्रयास जारी है। भाजपा के प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा ने झारखंड में घुसपैठ के मुद्दे को जोर शोर से उठाया है।
हरियाणा चुनाव के बाद झारखंड के चुनाव में सबसे बड़ा जो असर पड़ेगा, वो होगा भाजपा का कांफिडेंस। लोकसभा चुनाव में पिछड़ने के बाद अगर भाजपा हरियाणा में भी पिछड़ जाती तो भाजपा का कांफिडेंस उपर रहेगा। इसके अलावा कांग्रेस का कांफिडेंस कम होगा।