झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा अगले कुछ हफ्तों में होने वाली है। इससे पहले के कुछ हफ्ते झारखंड की मौजूदा सरकार के लिए सकारात्मक ही माने गए। बड़ी लड़ाई में फंसे हेमंत सोरेन को सीएम की कुर्सी गंवाने के साथ जेल तो जाना पड़ा लेकिन बेल भी मिली और मुख्यमंत्री की कुर्सी भी। लेकिन अब चुनाव के ठीक पहले हेमंत सोरेन दो चक्रव्यूह में फंस गए हैं। पहला चक्रव्यूह नैतिकता का है, जिसमें हेमंत सोरेन के लिए मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। तो दूसरा चक्रव्यूह राजनीतिक है, जिसकी मुश्किलें चुनाव जैसे जैसे पास आ रहा है, बढ़ रही हैं।
चंपाई सोरेन को हटाकर नैतिक चक्रव्यूह में फंसे हेमंत सोरेन
दरअसल, हेमंत सोरेन जब जनवरी 2024 में जेल गए तो चंपाई सोरेन को सीएम की कुर्सी पर बिठाकर मास्टर स्ट्रोक खेल गए। हेमंत सोरेन ने लालू यादव की तरह अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को कुर्सी पर नहीं बिठाया। और न ही अपने भाई बसंत सोरेन और भाभी सीता सोरेन को कुर्सी दी। बल्कि हेमंत सोरेन ने अपनी पार्टी के कद्दावर नेता चंपाई सोरेन को सीएम बना दिया। लेकिन हेमंत को जमानत मिलने के बाद चंपाई सोरेन से इस्तीफा दिलवा दिया गया और हेमंत सोरेन को फिर सीएम की कुर्सी मिल गई। यहीं से हेमंत सोरेन के लिए नैतिक चक्रव्यूह तैयार हो गया। क्योंकि चुनाव के कुछ माह पहले ही चंपाई सोरेन को हटा देना झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई नेताओं को अखर गया। अब चंपाई कोलकाता और दिल्ली का दौरा कर रहे हैं तो कहा यही जा रहा है कि हेमंत चाहते तो चंपाई को सीएम बनाए रख सकते थे।
हेमंत सोरेन के खिलाफ राजनीतिक चक्रव्यूह भी तैयार
दूसरी ओर राजनीतिक चक्रव्यूह भी हेमंत सोरेन के लिए तैयार ही हो रहा है, जिसमें भाजपा अब लीड ले रही है। हेमंत सोरेन की कोशिश थी कि मइंया सम्मान योजना शुरू कर झारखंड की महिलाओं को साध सकें। लेकिन राज्य में इस योजना की शुरुआत के लिए फार्म भरने के दौरान ही बिचौलियों की एंट्री ने योजना की साख पर सवाल उठा दिए। इसके अलावा नौकरियों की घोषणा, जेएसएससी परीक्षा लेने में देरी, महिलाओं के खिलाफ अपराध, राज्य के अलग अलग जिलों में कानून व्यवस्था की खराब स्थिति, मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन के विधानसभा क्षेत्र में पुलिसकर्मी की हत्या जैसे मामलों ने हेमंत सोरेन सरकार को राजनीतिक चक्रव्यूह में फंसा दिया है।
सीएम की पसंद के तौर पर भी पिछड़े हेमंत सोरेन
राज्य सरकार की असफलताओं के बीच हेमंत सोरेन को एक और बड़ा झटका ओपिनियन पोल के कारण लगा है। दरअसल, हेमंत सोरेन की लोकप्रियता में भी कमी आई और इसी कारण ओपिनियन पोल में सबसे अधिक 43 फीसदी लोगों ने बाबूलाल मरांडी को झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में पसंद किया है। टाइम्स नाउ नवभारत के इस पोल में हेमंत सोरेन को सीएम के तौर पर 32 फीसदी लोगों ने पसंद किया है।