रांची: हाईकोर्ट ने आज एक अपीलकर्ता की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अनिश्चितकालीन अनियमित नियुक्ति की हानिकारक प्रथा को जारी नहीं रखा जा सकता। बता दें झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में दिये अपने एक फैसले में राज्य सरकार को एक अपीलकर्ता की सेवाओं को नियमित करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रौशन की खंडपीठ ने 10 साल बाद उस क्लर्क को नियमित करने का आदेश दिया है, जिसे 2008 से दैनिक वेतन के आधार पर और बाद में संविदा के आधार पर कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में नियुक्त किया गया था। डबल बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को पलटते हुए राज्य सरकार को अन्य कर्मचारियों के समान क्लर्क के रूप में अपीलकर्ता की सेवा को नियमित करने का निर्देश दिया। मामले को विस्तार से बता दें कि राजेश कुमार वर्मा की नियुक्ति वर्ष 2008 में तीन महीने के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रकोष्ठ गिरिडीह में दैनिक वेतन के आधार पर कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में की गयी थी। समय-समय पर उसकी सेवा को विस्तार दिया गया। वर्ष 2013 में राज्य सरकार ने संविदा के आधार पर कंप्यूटर ऑपरेटर-कम-क्लर्क के पद को भरने के लिए विज्ञापन जारी किया था। विज्ञापन के मुताबिक, योग्यताएं होने के कारण राजेश ने भी आवेदन किया। जिसके बाद उसका चयन हुआ और उसे एक वर्ष के लिए नियुक्त किया गया। चयन में सेवा नवीनीकरण का प्रावधान था। तब से राजेश लगातार काम करता रहा। लेकिन उसकी सेवा नियमित नहीं की गयी। जिसके बाद राजेश ने इस आधार पर नियमितीकरण के लिए याचिका दायर की। अपनी याचिका में कहा कि उसने दस वर्षों से अधिक समय तक लगातार काम किया है। लेकिन सिंगल बेंच ने उसकी दलीलों को ठुकराते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी। जिसके बाद उसने डबल बेंच में अपील दायर की।