रांची: विधायक जयराम महतो ने झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र के तीसरे और अंतिम दिन झारखंड के निवासियों के भूमि अधिकारों के मुद्दे पर अपनी बात रखी। स मामले में उन्होने जोर देकर कहा कि झारखंड की जमीन केवल झारखंडियों की है और इस पर बाहरी राज्यों के लोगों का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात के लोगों ने जमीन नहीं दी है। जमीन केवल झारखंड के लोगों ने दी है। ऐसे में झारखंड के लोगों के लिए 75% नहीं, बल्कि 100% आरक्षण भी उचित होगा। महतो ने निजी क्षेत्र में आरक्षण के मुद्दे पर भी सरकार और हाई कोर्ट से पुनर्विचार की अपील की। उन्होंने निजी उद्योगों के लिए अधिग्रहीत भूमि के उपयोग और प्रभावित किसानों के भविष्य पर चिंता जताई।
महतो ने कहा, झारखंड के किसानों ने अपनी जमीन दी है, जो उनकी एकमात्र पूंजी और सहारा थी। लेकिन विकास और उद्योगों के नाम पर उनकी जमीनें छीन ली गईं, और उन्हें सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया गया। इस मुद्दे पर न्यायालय को गंभीरता से विचार करना चाहिए। जयराम महतो ने आरोप लगाया कि हाई कोर्ट बाहरी दबाव में निर्णय ले रहा है। उन्होंने कहा, आज जो भी विषय अदालत में आते हैं, उनमें कहीं न कहीं दबाव की भूमिका होती है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। हाई कोर्ट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि झारखंड के निवासियों के अधिकार सुरक्षित रहें। वहीं डुमरी के विधायक ने छात्र आंदोलनों और रोजगार के मुद्दे पर सत्ताधारी दल और विपक्ष की भूमिका पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि यदि सत्ता पक्ष को लगता है कि छात्रों के तर्क बेबुनियाद हैं, तो उन्हें सबूतों के साथ जवाब देना चाहिए। महतो ने कहा, सांच को आंच नहीं होती। जांच होनी चाहिए और सच्चाई सामने आनी चाहिए। अगर छात्रों को गुमराह किया जा रहा है, तो इसे स्पष्ट किया जाए। जयराम महतो ने झारखंड के निवासियों के भूमि अधिकारों और आरक्षण के मुद्दे को केंद्र में रखते हुए, सरकार और न्यायपालिका से ठोस कदम उठाने की मांग की। उनका कहना है कि झारखंड के लोगों के साथ कोई अन्याय नहीं होना चाहिए और उनकी जमीन पर उनका अधिकार सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।