झारखंड विधानसभा उपचुनाव में 12 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती उत्पन्न हो गई है, खासकर जब समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं। इन पार्टियों और नेताओं के आ जाने से चुनावी समीकरण और भी जटिल हो गए हैं। इस स्थिति का फायदा सपा, बसपा और निर्दलीय उम्मीदवार उठा सकते हैं, जो दोनों प्रमुख गठबंधनों, भाजपा-एनडीए और कांग्रेस-इंडिया, के वोटों को बांट सकते हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी सपा ने तीसरी धुरी बनकर कांग्रेस को करीब 12 सीटों पर क्षति पहुंचाई थी।
बरकट्ठा सीट
- भाजपा: अमित यादव (निर्दलीय के रूप में जीते थे)
- झामुमो: जानकी यादव
- लोकहित अधिकार पार्टी: कुमकुम देवी
- निर्दलीय: बटेश्वर प्रसाद मेहता
इस सीट पर भाजपा को तीन अलग-अलग मोर्चों से चुनौती मिल रही है। पहले से ही निर्दलीय जीतने वाले अमित यादव भाजपा के उम्मीदवार हैं, लेकिन कुमकुम देवी और बटेश्वर प्रसाद मेहता के आने से स्थिति और भी जटिल हो गई है।
विश्रामपुर सीट
- भाजपा: रामचंद्र चंद्रवंशी
- राजद: नरेश प्रसाद सिंह
- सपा: अंजु सिंह
- कांग्रेस: सुधीर चंद्रवंशी
यहां भाजपा, कांग्रेस और राजद के उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर है, और सपा की अंजु सिंह भी इस मुकाबले में अपनी छाप छोड़ने की कोशिश करेंगी, जिनका पिछले चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन रहा था।
छतरपुर सीट
- भाजपा: पुष्पा देवी
- राजद: विजय राम
- सपा: ममता भूईंयां
- निर्दलीय: राजेश रोशन
यहां भाजपा की पुष्पा देवी को भी सपा के ममता भूईंयां और निर्दलीय राजेश रोशन से चुनौती मिल रही है, जिससे मुकाबला तगड़ा बन गया है।
पांकी सीट
- भाजपा: शशिभूषण मेहता
- कांग्रेस: लाल सूरज
- निर्दलीय: देवेंद्रनाथ सिंह (बिट्टू सिंह)
यहां भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला था, लेकिन बिट्टू सिंह का निर्दलीय रूप में आना स्थिति को त्रिकोणीय बना सकता है।
हुसैनाबाद सीट
- भाजपा: कमलेश सिंह
- राजद: संजय कुमार सिंह यादव
- बसपा: कुशवाहा शिवपूजन मेहता (पूर्व विधायक)
- निर्दलीय: विनोद सिंह
यहां भाजपा और राजद के उम्मीदवारों के अलावा, बसपा और निर्दलीय उम्मीदवार भी मुकाबले में हैं, जो भाजपा और राजद दोनों के वोट काट सकते हैं।
बिशुनपुर सीट
- झामुमो: चमरा लिंडा
- भाजपा: समीर उरांव
- निर्दलीय: जगन्नाथ उरांव (झामुमो बागी), शिव कुमार भगत (कांग्रेस बागी)
यहां झामुमो के बागी और कांग्रेस के बागी दोनों निर्दलीय उम्मीदवार अपनी-अपनी पार्टियों के खिलाफ चुनावी समर में हैं, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है।
बेरमो सीट
- कांग्रेस: कुमार जयमंगल
- भाजपा: रवींद्र पांडेय
- निर्दलीय: जयराम महतो
यहां त्रिकोणीय मुकाबला है, जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है, लेकिन जयराम महतो का निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में आना भी मतदाताओं को प्रभावित कर सकता है।
गढ़वा सीट
- भाजपा: मिथिलेश ठाकुर
- सपा: गिरिनाथ सिंह
यह सीट हाईप्रोफाइल है, और सपा के गिरिनाथ सिंह के मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय बन गया है। भाजपा को इस सीट पर सपा से कड़ी चुनौती मिल सकती है।
मनिका सीट
- कांग्रेस: रामचंद्र सिंह
- भाजपा: हरिकृष्णा सिंह
- अन्य और निर्दलीय: रघुपाल सिंह (सपा), मुनेश्वर उरांव (निर्दलीय)
यहां भी निर्दलीय और सपा के उम्मीदवारों ने मुकाबला जटिल बना दिया है।
धनवार सीट
- भाजपा: बाबूलाल मरांडी
- माले: राजकुमार यादव
- झामुमो: निजामुद्दीन अंसारी
- निर्दलीय: निरंजन राय
यह सीट भी त्रिकोणीय मुकाबले में है, और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को यहां निर्दलीय उम्मीदवार से भी कड़ी चुनौती मिल सकती है।
भवनाथपुर सीट
- भाजपा: भानु प्रताप शाही
- झामुमो: अनंत प्रताप देव
- बसपा: पंकज कुमार
बसपा ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारकर दलित वोट को साधने की कोशिश की है, जो मुकाबले को और तगड़ा बना सकता है।
हटिया सीट
- भाजपा: नवीन कुमार जायसवाल
- कांग्रेस: अजयनाथ शाहदेव
- आजसू: भरत कांशी (निर्दलीय)
यहां भी मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है, लेकिन आजसू के भरत कांशी का निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में आना भाजपा के लिए टेंशन का कारण बन सकता है।
इन सभी सीटों पर सपा, बसपा और निर्दलीय उम्मीदवारों के कारण भाजपा और कांग्रेस के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है। ये उम्मीदवार वोटों को बांटने का काम करेंगे, जिससे प्रमुख गठबंधनों के लिए सीटों का समीकरण बदल सकता है। इन बागी नेताओं और छोटे दलों के प्रभाव से चुनाव परिणामों में अप्रत्याशित बदलाव आ सकते हैं।