रांची: 2011 विधानसभा नियुक्ति मामला को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई की गयी। बता दें इस मामले पर पूर्व में सभी पक्षों की सुनवाई पूरी कर ली गई थी आज 23 सितंबर सोमवार को इस मामले पर झारखंड हाई कोर्ट के कार्यवाहक न्यायमूर्ति की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए इस मामले को जांच के लिए सीबीआई के सुपुर्द कर दिया है। बता दें ये मामला विधान सभा में अवैध तरीके से कर्मचारियों की भर्ती से संबंधित है। राज्य के पहले स्पीकर इंदर सिंह नामधारी के कार्यकाल में 274 व स्पीकर आलमगीर के कार्यकाल में 324 लोगों की नियुक्ति हुई थी।
इसके अलावा स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता ने गलत तरीके से लोगों को प्रोन्नत किया।रिपोर्ट के अनुसार नामधारी के समय एक जिला से 70 फीसदी लोगों की बहाली की गयी। वहीं आलमगीर के समय नियुक्ति में पैसे की लेन-देन का मामला सामने आया था। इस मामले को लेकर झारखंड के तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने जांच के आदेश दिये थे। इसके साथ ही मामले में पहले सेवानिवृत्त न्यायाधीश लोकनाथ प्रसाद ने जांच की, उसके बाद जांच का जिम्मा सेवानिवृत्त न्यायाधीश विक्रमादित्य प्रसाद को मिला। इसके बाद वर्ष 2018 में विक्रमादित्य ने तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू (वर्तमान में राष्ट्रपति) को जांच रिपोर्ट सौंपी।इस मामले की गंभीरता को देखते हुए श्रीमती मुर्मू ने जांच रिपोर्ट विधानसभा को कार्रवाई के लिए भेज दिया।
इसके बाद चली जांच में पूर्व स्पीकर इंदर सिंह नामधारी, आलमगीर आलम, शशांक शेखर भोक्ता, तत्कालीन पूर्व तीन विधानसभा के सचिव और छह से ज्यादा विधानसभा के पदाधिकारी व कर्मी इन सबको दोषी माना गया था। रिपोर्ट के आधार पर राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को कार्रवाई करने को कहा था, लेकिन उक्त आयोग की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। इधर उसकी रिपोर्ट को जांचने के लिए एक दूसरे आयोग का गठन कर लिया गया। झारखंड विधानसभा में लगभग 150 से अधिक अवैध नियुक्तियों के मामले में दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी व विधानसभा का पक्ष सुना। इसके बाद खंडपीठ ने इस मामले में जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की एक सदस्यीय आयोग द्वारा तैयार की गयी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। वहीं अब ये मामला सीबीआई को सौंप दिया गया है।