झारखंड में सोमवार को हुए JPSC परीक्षा में पेपर लीक मामले को तूल पकड़ता देख आयोग ने अपना बयान जारी किया है. जेपीएससी अध्यक्ष डॉ मेरी नीलिमा केरकेट्टा ने पेपर लीक होने की बात से इनकार किया है। उन्होंने साफ कहा है कि यह पूरा मामला गलत, भ्रामक और तथ्यों से परे है. हमारी जांच में पेपर लीक की कोई बात सामने नहीं आई है.
दरअसल, 17 मार्च को झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की ओर से सभी 24 जिलों के 834 परीक्षा केंद्रों पर JPSC प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की गई थी। इस दौरान सोशल मीडिया पर दो-तीन परीक्षा केंद्रों का नाम लेते हुए पेपर लीक का वीडियो प्रसारित किया गया। जिसके बाद छात्रों के बीच पेपर लीक की खबर आग की तरह फैल गई। विपक्ष से लेकर परीक्षार्थियों तक सभी कोई आक्रोशित होकर खबर को तूल देने लगे। जिसके बाद परीक्षार्थियों ने एग्जाम रद्द करने तक की मांग कर दी।
वहीं, इस पूरा मामले को संज्ञान में लेते हुए आयोग ने जांच के दौरान इसे गलत पाया। जिसके बाद आयोग ने जिन जिलों से संबंधित दुष्प्रचार किया जा रहा था उन जिलों के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक के संयुक्त रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि वीडियो पूर्णत गलत, भ्रामक और तथ्यों से परे है। रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि जिला प्रशासन की ओर से संलिप्त असामाजिक तत्वों को चिन्हित करने का काम शुरू किया जा चुका है, जिससे इस प्रकार के कृत्यों पर अंकुश लग सके।
वहीं, अब जेपीएससी ने सरकार से अनुशंसा कि है कि जिला प्रशासन को विशेष निर्देश दिया जाए कि इस प्रकार के फर्जी वीडियों के प्रक्षेपण, प्रचार और प्रसार करने में संलिप्त व्यक्ति और व्यक्तियों के समूह को चिन्हित करके उन्हें उक्त अधिनियम के प्रावधानों के तहत कठोरतम सजा दी जाए। ताकि भविष्य में इस प्रकार के कुकृत्य में संलिप्तता का दुस्साहस न किया जा सके। वहीं, जेपीएससी ने इस मामले में मिहिजाम थाने में दो एफआईआर दर्ज कराई गई है। एक एफआईआर में 20 अभ्यर्थियों को नामजद किया गया है। वहीं, दूसरी एफआईआर में बिनीत कुमार और 50 अज्ञात को आरोपी बनाया गया है।