रांची: हाइकोर्ट में अब तक जेएसएससी स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के विज्ञापन संख्या 21/ 2016 से संबंधित मीना कुमारी एवं अन्य की याचिका पर अनेकों सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार व जेएसएस सी को भी अदालत ने तलब कर कई जरूरी निर्देश दिए व मामले में परादशिता बरतने की मौखिक सलाह भी दी। वहीं इस मामले की सुनवाई अब अंतिम चरण पर है। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने प्रार्थियों को शपथ पत्र दाखिल करने के लिए 10 दिसंबर का समय दिया है। वही कोर्ट ने राज्य सरकार एवं जेएसएससी को भी संक्षिप्त शपथ पत्र दाखिल कर बताने को कहा है कि क्या प्रार्थी का प्राप्तांक राज्य स्तरीय मेरिट लिस्ट के अंतर्गत अंतिम चयनित अभ्यर्थी से कम है या ज्यादा है। इसके साथ ही कोर्ट ने प्रार्थियों को शपथ पत्र दाखिल कर बताने को कहा है कि उनका प्राप्तांक कितना था। सुनवाई के दौरान अदालत को प्रार्थी की ओर से बताया गया कि बहुत सारे सफल अभ्यर्थी जिनका मार्क्स उनसे कम है उनकी भी नियुक्ति की गई है।
प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने कोर्ट को बताया कि ऐसे सैकड़ो अभ्यर्थी है जिनको स्टेट मेरीट लिस्ट के कट ऑफ मार्क्स से थोड़ा काम नंबर आया है और डिस्ट्रिक्ट वाइज न्यूनतम कट ऑफ मार्क्स से बहुत अधिक अंक है। श्री वत्स ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने या स्वीकार किया है कि 3704 सीट खाली है जिसे राज्य सरकार ने सरेंडर कर दिया है। यह राज्य सरकार के नियम अनुकूल नहीं है। झारखंड सरकार की नियमावली के तहत विज्ञापन के बचे सीट तभी सरेंडर हो सकते हैं जब नियुक्ति आदेश निकलने के बाद अभ्यर्थियों ने पद ग्रहण नहीं किया। मालूम हो कि उन्होंने अपनी इस बात के तर्क में सुप्रीम कोर्ट के कई जजमेंट भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया।
उनकी ओर से कोर्ट से आग्रह किया कि स्टेट मेरीट लिस्ट के कट ऑफ मार्क्स को कम कर शेष बचे 3704 सीटों को भरा जाए। सुप्रीम कोर्ट का भी यही दिशा-निर्देश था कि उक्त नियुक्ति परीक्षा की सभी 17786 सीटों को भरा जाए। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन, जेएसएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने कोर्ट को बताया कि स्टेट वाइज मेरीट लिस्ट के अनुसार जेएसएससी के द्वारा नियुक्ति के अनुशंसा की गई है। इसके साथ ही जेएसएससी की ओर से बहस कर रहे अधिवक्ताओं का कहना है कि प्रार्थियों का यह कथन गलत है कि प्रार्थी का प्राप्तांक स्टेट वाइज मेरीट लिस्ट में अंतिम चयनित अभ्यर्थी से कम है।
प्रार्थी अपने केस की तुलना ऐसे अभ्यर्थियों से कर रहे हैं जिनकी नियुक्ति डिस्ट्रिक्ट वाइज मेरिट लिस्ट के आधार पर हुई थी, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत प्रोटेक्टेड थे। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सत्यजीत कुमार के मामले में दिए गए आदेश के आलोक में जेएसएससी द्वारा स्टेट वाइज मेरिट लिस्ट के तहत नियुक्ति की अनुशंसा की गई है। सभी प्रार्थी का प्राप्तांक स्टेट वाइज मेरीट लिस्ट के चयनित अंतिम अभ्यर्थी से कम है इसलिए इनकी नियुक्ति नहीं की गई है, ये नियुक्ति की योग्य नहीं थे। इसके साथ ही बता दें कि इस मामले में पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार एवं झारखंड स्टाफ सिलेक्शन कमीशन की ओर से बताया कि जेएसएससी स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा 2016 का 26 विषयों का स्टेट मेरिट लिस्ट जारी कर दिया है।
जिस पर प्रार्थियों की ओर से कहा गया था कि कट ऑफ से ज्यादा मार्क्स वालों का भी चयन हो गया है। सरकार को बताना चाहिए कि कितने लोगों की नियुक्ति हुई है और यह नियुक्ति कब हुई है। बताते चलें कि दरअसल, मीना कुमारी एवं अन्य की ओर से हाइकोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गई थी। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2016 में जो हाई स्कूल शिक्षक की नियुक्ति का विज्ञापन निकला था उसके आलोक में उनकी भी नियुक्ति होने चाहिए। क्योंकि कट ऑफ से ज्यादा मार्क्स उन्होंने लाया है, अगर हाई स्कूल शिक्षकों की रिक्तियां बची है तो उनकी भी नियुक्ति होनी चाहिए।