रांची: ईडी का डर दिखाकर करोड़ो रूपयों की वसूली करने के सुत्रधार एडवोकेट सूजीत के दस्तावेज को प्रथम दृष्टया सेदेहास्पद माना जा रहा है। मालूम हो कि ईडी के नाम पर करोड़ों रुपये की वसूली से जुड़े जिस मामले में प्रवर्तन निदेशालय रांची और धनबाद में कांके सीओ जय कुमार राम, सीओ प्रभात भूषण, धनबाद के DTO दिवाकर द्विवेदी और अधिवक्ता सुजीत कुमार व संजीव पांडेय के ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। इस मामले के मुख्य सूत्रधार अधिवक्ता सुजीत कुमार ही बताये जा रहे हैं। मीडिया मित्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अधिवक्ता सुजीत कुमार ने वर्ष 2013 में पटना हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से वकालत का लाइसेंस लिया था। इसके बाद वर्ष 2021 में उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन में एनरोलमेंट लिया।
इस बारे में वकालत के पेशे से जुड़े लोगों का कहना है कि प्रथम दृष्टया सुजीत कुमार का यह अधिवक्ता पहचान पत्र संदेहास्पद प्रतीत होता है। इसके अलावे ऑनलाइन रिकॉर्ड में भी सुजीत कुमार नाम में इस अधिवक्ता का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। बताते चलें कि रांची में हुए जमीन घोटाले के रडार में आए अंचल अधिकारीयों से जांच से नाम हटाने के नाम पर करोड़ो की अवैध वसूली की गयी। ये वसूली ईडी के नाम पर की गयी जिसमें ईडी के रडार पर आए सीओ से इस बात के पैसे लिए गए कि उन्हे कार्रवाई से दूर रखा जाएगा। मामले की परत खुलने के बाद पुलिस इसकी जांच में जुट गयी है। वहीं इस मामले में बताया जा रहा कि ईडी की कार्रवाई दिखाकर और ईडी की चार्जशीट से दूर रखने के नाम पर कई लोगों से करीब सात करोड़ रुपए वसूले गए हैं। जानकारी मिली है कि कई सीओ जमीन से जुड़े मामले में ईडी के रडार पर थे और इसलिए उन्हे जांच से दूर रखने के नाम पर धोखाधड़ी किया गया। फिलहाल मामले में एफआईआर दर्ज कर लिया गया है। इधर इस मामले में दूसरे पक्ष के द्वारा भी एफआईआर दर्ज करा दिया गया है। बता दें आवेदन में अपहरण और जबरन पैसे वसूलने का आरोप लगाया गया है। दूसरे पक्ष में अधिवक्ता सुजीत कुमार की ओर से यह आरोप लगाया है। वहीं संजीव पांडे के द्वारा ठगी का आरोप अधिवक्ता सुजीत पर लगाया गया है।