रांची: झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स के अहारी उप समिति की बैठक आज चेंबर भवन में संपन्न हुई। प्रदेश में आलू की आपूर्ति एवं झारखण्ड सरकार द्वारा धान की खरीदी पर बैठक में चर्चा हुई। कहा गया कि पश्चिम बंगाल द्वारा झारखण्ड में 28 नवंबर से आलू आपूर्ति बंद किये जाने के कारण प्रदेश में आलू के खुदरा मूल्य में 10 रू0 तक वृद्धि हुई है जिस कारण यहां की 3 करोड से अधिक आबादी प्रभावित हो गई है। उपभोक्ता उंचे दर पर आलू की खरीदी के लिए विवश हैं। चैंबर अध्यक्ष परेश गट्टानी ने कहा कि झारखण्ड में 90 फीसदी आलू की आपूर्ति बंगाल से होती है। बंगाल से आलू आपूर्ति बंद होने के कारण व्यापारी विवश होकर उत्तर प्रदेश और पंजाब से आलू मंगाकर झारखण्ड में वितरण कर रहे हैं। इस कारण आलू के क्रय पर 2 से 3 रू0 प्रति किलोग्राम अतिरिक्त भाडा लग रहा है। साथ ही उत्तर प्रदेश और पंजाब से आलू के ट्रांसपोर्टेशन में तीन दिन लग रहा है जबकि पश्चिम बंगाल से पूरे झारखण्ड में 12 घंटे के अंदर आलू का परिवहन हो जाता है।
महासचिव आदित्य मल्होत्रा ने कहा कि बंगाल से आलू नहीं आने के कारण झारखण्ड से सब्जियों का ट्रांसपोर्टेशन भी प्रभावित हो रहा है। बंगाल सरकार को इसकी भी समीक्षा करनी चाहिए। राज्य की जनता को आलू की महंगाई के अतिरिक्त बोझ से बचाने के लिए सदस्यों ने माननीय मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने की अपील की। यह कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार पर दबाव बनाकर आलू की आपूर्ति सुचारू रूप से चालू कराई जाय। यह भी कहा गया कि यदि बंगाल से आलू की आपूर्ति अविलंब सुचारू नहीं होती है तो झारखण्ड सरकार अपने प्रदेश से पश्चिम बंगाल धान की सप्लाई पर रोक लगाने पर विचार करे। राज्य सरकार द्वारा धान के क्रय पर भी बैठक में चर्चा की गई। कहा गया क धान की कटाई प्रारंभ हो गई है और कृषकों द्वारा धान को 18 से 19 रू0 प्रति किलोग्राम की दर पर बेंचा जा रहा है। अहारी उप समिति के चेयरमेन आनंद कोठारी ने कहा कि अभी तक झारखण्ड सरकार द्वारा धान क्रय प्रारंभ नहीं किया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि 15 दिसंबर से 25 रू0 प्रति किलोग्राम की दर से धान खरीदी की बात कही जा रही है, जबकि इससे अधिक दर पर धान खरीदी की बात कही गई थी, इससे किसानों को नुकसान होगा। उन्होंने माननीय मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की। यह कहा कि प्रदेश में 33 हजार गांव हैं जहां धान का उत्पादन होता है। वहां के किसान द्वारा धान की बिक्री की जाती है। पंचायत स्तर पर धान क्रय की व्यवस्था होनी चाहिए और किसानों को धान क्रय का भुगतान 24 से 48 घंटे पर सुनिश्चित किया जाना चाहिए। सरकार के इस प्रयास से किसान प्रोत्साहित होंगे। बैठक में चैंबर अध्यक्ष परेश गट्टानी, महासचिव आदित्य मल्होत्रा, सह सचिव नवजोत अलंग, सदस्य मनीष पियूष, परमानंद चौधरी, रोहित साह, राकेश गुप्ता, अमन चौरसिया, दीनदयाल बरनवाल आदि उपस्थित थे।