भाजपा और नीतीश कुमार की पार्टी जदयू का गठबंधन पुराना है। भले ही बीच के सालों में यह दो बार टूटा भी है लेकिन इसके टूटकर जुड़ने की कहानी भी सबके सामने है। दोनों के गठबंधन में आखिरी बार दरार अगस्त 2022 में आई लेकिन 2024 के जनवरी में फिर दोनों साथ हो गए। अब इस बार नीतीश कुमार की पार्टी भाजपा के साथ ऐसे जुड़ी है कि नीतीश कुमार की पार्टी के कद्रदानों की रगों में भाजपा का ‘खून’ दौड़ने लगा है। नीतीश कुमार की पार्टी के बड़े नेता, भाजपा की जुबां बोलने लगे हैं।
दरअसल, नीतीश कुमार की पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और मौजूदा केंद्र की सरकार में मंत्री ललन सिंह ने अभी कुछ ऐसा कह दिया कि उनकी बातों में भाजपा के नेताओं वाली बात से मेल खाने लगी है। ललन सिंह ने कहा कि “इस मुगालते में मत रहिये कि मुसलमान नीतीश कुमार को वोट करते हैं। मुसलमान नीतीश कुमार को वोट नहीं करते। फिर भी मदरसा शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग का लाभ मिल रहा है।” ललन सिंह के इस बयान पर राजनीति शुरू हो गई। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि “वह (ललन सिंह) नफरती लोगों की संगत में जाकर नफ़रत फैलाने वाली बात कर रहे हैं। उनका बयान देश के अंदर नफरत फैलाने वाला है।”
तेजस्वी के बरसने के बाद ललन सिंह भी सॉफ्ट हुए और अपने बयान पर सफाई दी। ललन सिंह ने कहा कि “कल मुजफ्फरपुर में मैंने कहा था कि नीतीश कुमार वोट के लिए काम नहीं करते हैं, वो बिहार की बेहतरी के लिए काम करते हैं और नीतीश कुमार ने समाज के हर तबके के सामाजिक, आर्थिक उत्थान के लिए काम किया है और उसका परिणाम है कि आज बिहार में परिवर्तन आया है।”
अब सवाल उठता है कि आखिर नीतीश कुमार की पार्टी के नेता उन भाजपा नेताओं की तरह क्यों बोल रहे हैं, जिन पर मुसलमानों के खिलाफ बयान देने का आरोप लगता है। इस बात का जवाब बिहार की सियासी गलियारों में कुछ ऐसी चल रही है, जो अगर सच साबित हुई तो नीतीश कुमार के उन समर्थक नेताओं की टेंशन बढ़ सकती है जो जदयू में अपना भविष्य देख रहे हैं। दरअसल, इस बात की चर्चा लगातार होती है कि नीतीश कुमार के बाद आखिर जदयू का नेता कौन होगा। जवाब में कुछ लोग कहते हैं कि जदयू का नीतीश के बाद कोई भविष्य नहीं। जबकि कुछ लोग इसके लिए मनीष वर्मा जैसे नेताओं को उत्तराधिकारी बताते हैं।
लेकिन ललन सिंह जैसे नेताओं का पार्टी लाइन से अलग बयान देना अलग तरह की संभावनाओं को जन्म दे रहा है। दरअसल, चर्चा यह चलने लगी है कि कहीं जदयू के नेता भाजपा के सहयोगी बनने की बजाय भाजपा में जदयू के विलय का ख्वाब तो नहीं देख रहे हैं? मुसलमानों के मामले में नीतीश कुमार ने हमेशा यही सोच सार्वजनिक रखी है कि भाजपा के साथ होते हुए भी मुसलमान जदयू को वोट देते हैं। लेकिन ललन सिंह जैसे नेताओं के बयानों के बाद माहौल अलग ही दिख रहा है। हालांकि ललन सिंह की सफाई के बाद क्या होगा, यह आगे पता चलेगा।