रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने धनबाद में अवैध खनन के मामले में सीबीआई के साथ-साथ परिवर्तन निदेशालय यानी ईडी को भी पीई दर्ज कर प्रारंभिक जांच करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा है कि प्रारंभिक जांच में आरोपों को सही पाए जाने के बाद नियमित प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच की जाए। न्यायालय ने सभी पुलिस अफसर को प्रारंभिक जांच में सीबीआई को सहयोग करने का भी निर्देश दिया है।
इस आदेश के बाद धनबाद के तत्कालीन पुलिस महकमे पर एक और गाज गिरा है। इससे तत्कालीन एसएसपी और डीएसपी समेत कई पुलिस अधिकारी फंसते नजर आ रहे हैं। खासकर आईपीएस अधिकारी संजीव कुमार का नाम चर्चा में है। मालूम हो कि कोर्ट ने अरूप चटर्जी की ओर से दायर रिट याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार द्वारा अपनाए गए रवैया पर तल्ख टिप्पणी की है। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि सरकार इस बात पर आमादा थी की अदालत कोई आदेश पारित नहीं कर सके। अदालत ने याचिका पर सुनवाई करने और फैसला सुरक्षित रखने के बाद राज्य सरकार की ओर से दायर आए संख्या 10676 को गंभीरता से लिया है।
बताते चलें कि अदालत ने इस मामले में कहा है की याचिका पर सुनवाई के बाद 24 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। इसके बाद 26 सितंबर को सरकार की ओर से आइपीए संख्या 10676 दायर किया गया। इसमें सरकार की ओर से यह कहा गया कि अदालत फैसला सुनाने से पहले आइपीए संख्या 9800 पर फैसला करे। कोर्ट में इस आइए को इस नियत के साथ दायर किया गया ताकि अदालत मूल याचिका पर कोई फैसला नहीं कर सके। इसलिए अदालत ने इस आइए याचिका को खारिज कर दिया। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि सरकार की ओर से आइए संख्या 9800 के 14वें पैराग्राफ में सरकार की ओर से यह कहा गया है कि 11 मई 2024 को दायर की गई ऑनलाइन प्राथमिकी में लगे आरोपों की प्रारंभिक जांच भी अब तक पुलिस नहीं कर सकी है।
इसमें सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि पुलिस को इस मामले में जांच करने का अधिकार नहीं है। सरकार की ओर से दायर किए गए आइए में वर्णित तथ्यों के मद्देनजर न्यायालय ने यह टिप्पणी की है कि इससे यह लगता है कि सरकार अपने वरीय अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर आमादा है।