रांची: अपनी विज्ञप्ति में चम्पई सोरेन के खिलाफ आग उगलते झारखंड के मंत्री बन्ना गुप्ता अब सरयू राय के निशाने पर आ गए है। हालांकि ये कोई पहला अवसर तो नहीं जब सरयू ने बन्ना पर निशाना साधा हो फिर भी इस बार सरयू राय ने स्वास्थ्य मंत्री पर सीधा निशाना साधते हुए कुछ ऐसा कहा कि अप सोचने पर विवश होंगे । बहरहाल, बता दें कि एक बार फिर विधायक सरयू राय ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को लेकर अपनी भड़ास उतारी है। अपने सोशल मीडिया एकाउंट एक्स पर इसे साझा करते हुए उन्होंने यह भी कहा है कि बन्ना हेमंत सोरेन सरकार की नाक कटाने पर लगे हैं।
इसके साथ ही बन्ना को हेमंत सोरेन सरकार का लाड़ला मंत्री बताते कहा है कि वे उनकी नाक कटवाने पर उतारू हैं। आगे सरयू ने कहा है कि कई दिन तक बुलडोजर लेकर गोदामों में उनके खिलाफ सबूत खोजा। फिर दूरबीन लेकर 11 फाइलों में मेरे समय की अनियमितताएं ढूंढी। कुछ नहीं मिला तो एक फाईल पर ढाई पेज का नोट लिखा है कि विभाग मेरे विरूद्ध FIR करे। बता दें इससे पूर्व भी विधायक ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की घेराबंदी की थी। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर मंत्री के विरुद्ध गंभीर घोटाला और अनियमितता से संबंधित शिकायत की। बता दें सरयू राय ने स्वास्थ्य विभाग में अनियमितता से संबंधित ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि सीएम इस मामले की जांच कराकर कार्रवाई करें। यह बहुत बड़ा घोटाला है। मंत्री बन्ना गुप्ता के दबाव में स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी सबकुछ कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार सौंपे गए ज्ञापन में सरयू ने उल्लेख किया था कि स्वास्थ्य विभाग में मंत्रिपरिषद के निर्णय के अनुसार चयनित मानव बल आपूर्ति करने वाले आउटसोर्सिंग एजेंसियों का इम्पैनल्ड रद करने का आदेश दिया है और एक माह के भीतर नए सिरे से आउटसोर्सिंग एजेंसी का चयन करने के लिए अस्पतालों के अधीक्षक और जिला के सिविल सर्जनों को कहा है। आउटसोर्सिंग एजेंसी का चयन झारखंड मेडिकल एंड हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड प्रोक्योरमेंट कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा प्रकाशित निविदा के आधार पर हुआ था। स्वास्थ्य मंत्री के प्रभाव में विभाग ने एक साल तक इसके साथ एकरारनामा नहीं किया और पूर्व से चली आर रही व्यवस्था को लागू रहने दिया। अब इनका इम्पैनल्ड ये रद करना चाहते हैं ताकि पूर्व की भांति ही आउटसोर्सिंग एजेंसी द्वारा मानव बल उपलब्ध कराने का काम चलता रहे।
सरयू राय ने ज्ञापन में उल्लेख किया है कि मंत्रिपरिषद द्वारा पारित संकल्प के आधार पर कारपोरेशन से प्रकाशित निविदा के जरिए चयनित आउटसोर्सिंग कम्पनी का पैनल मंत्री ने स्वयं रद कर दिया। मंत्रिपरिषद को सूचित किए बगैर अपने स्तर पर ही उन्होंने विज्ञापन निकालकर एजेंसी नियुक्त करने का निर्देश सिविल सर्जन और अस्पताल के अधीक्षकों को दिया। स्वास्थ्य मंत्री जानते हैं कि एक माह के भीतर निविदा का निष्पादन संभव नहीं है। एक माह के भीतर चुनाव की घोषणा होने पर आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी। पूर्व से चल रही इस व्यवस्था को ही कायम रखने की साजिश स्वास्थ्य मंत्री कर रहे हैं। उन्होने कहा कि वास्तव में यह बहुत बड़ा घोटाला है, जिसकी जांच मुख्यमंत्री कराएं और अनियमितता होने से रोकें।