रांची: खूंटी जिले में अफीम की इस वर्ष अफीम की इतनी बम्पर खेती होने की सूचना है कि पिछले 19 वर्षो के सारे रेकॉड टूट जाएंगे। राजधानी रांची से महज कुछ किलोमीटर दूर प्रशासन की नाक के नीचे मादक पदार्थों की खेती हो रही थी। लेकिन जिला प्रशासन, जिला पुलिस और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने भी अफीम के फसलों की विनष्टिकरण और अफीम की खेती के कारोबार करने वालों पर नकेल कसने की तैयारी कर चुकी है। इसे लेकर लगातार बैठकें कर नणनीति बनाने का काम जारी है।
बता दें दो दिन पहले जिला पुलिस ने अफीम के फसलों के विनष्टिकरण का काम प्रारंभ कर दिया है। इस दौरान पुलिस ने खूंटी सदर थाना क्षेत्र के कदरूडीह में पांच एकड़, बरटोली में डेढ़ एकड़, हेसाहातू में एक एकड़ और सोयको थाना क्षेत्र के गुटुहातू में डेढ़ एकड़, मारंगहादा थाना क्षेत्र के उतरूंग में एक एकड़ में लगे अफीम को पौध को विनष्ट करने का काम किया है। वहीं इस पूरे सिंडिकेट को लेकर बताया जा रहा कि शहरों में अफीम के बड़े माफिया बैठे हैं।
जो गांवों के भोले-भाले आदिवासियों को अफीम के दलदल में धकेल रहे हैं। हद तो यह है कि अब अफीम की खेती में 12-15 वर्ष के नाबालिग बच्चे भी काम करने लगे हैं। ये बच्चे इन दिनों स्कूल ना जाकर अफीम के खेतों में क्यारी बनाने का काम कर रहे हैं। इन दिनों स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति घट गई है। अड़की के कुरूंगा गांव के समाजसेवी मंगल सिंह मुंडा ने सोसल मीडिया पर इससे संबंधित जानकारियां भी साझा की है।
अपने गांव गए मंगल सिंह मुंडा ने बच्चों से अफीम की खेती से अलग रहकर पढ़ाई करने की सलाह भी दी है। इधर ग्रामीण इलाकों में संचालित स्कूलों में इन दिनों बच्चों की उपस्थति भी तेजी से घटती जा रही है, जो पूरे समाज के लिए एक चिंतनीय विषय है। इधर जिले भी में अफीम की खेती की शुरूआत हो चुकी है। गांवों में बच्चे-युवा सभी अफीम के खेतों की क्यारियां तैयार करने में जुट गए हैं। खूंटी, मुरहू और अड़की जैसे स्थानों पर बैठे बड़े अफीम माफिया गांवों के लोगों को संसाधन मुहैया कराने में जुटे हुए हैं।
इनमें कुछ सफेदपोश भी शामिल हैं। खूंटी, मुरहू, रनिया, अड़की में इन दिनों कृषि उपकरणों की बिक्री में तेजी आ गई है। पंपसेट, रोटावेटर आदि की बिक्री में अप्रत्याशित वृद्धि आई है। वहीं जेसीबी मशीनों से गड्ढे खोदकर और डीप बोरिंग कराकर सिंचाई के लिए पानी की भी व्यवस्था की जा रही है। नदी-नालों के पानी को अफीम के खेतों की पटवन के लिए रोका जा रहा है। अड़की के समाजसेवी मंगल सिंह मुंडा कहते हैं कि अफीम की खेती से आदिवासी समाज खतरे में है. इस दिशा में पुलिस प्रशासन के समाज आदिवासी समाज के नेताओं को भी पूरी ईमानदारी के साथ काम करना चाहिए। उन्होंने बच्चों के अफीम की खेती से जुड़ने पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में स्थित पारा मिलिट्री फोर्स को भी इस दिशा में काम करते हुए अफीम की खेती को रोकना चाहिए।