रांची: इन दिनों बड़े स्तर पर थाना प्रभारियों के तबादले की सूचना जारी हो रही। तबादला एक जरूरी प्रक्रिया है परंतु इसके भी कुछ विधी व नियम है परंतु मीडिया सुत्रों से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड में नियमों की अनदेखी कर थाना प्रभारियों का तबादला कर दिया जा रहा है। बता दें किसी भी थाना प्रभारी का कम से कम दो वर्ष का कार्यकाल अवधि होता है। इसके अलावा अगर किसी थाना प्रभारी के खिलाफ कोई आरोप है, तो वैसे पदाधिकारी का रेंज डीआईजी से अनुमोदन प्राप्त कर दूसरी जगह तबादला किया जा सकता है। परंतु राज्य के अलग-अलग जिलों में पदस्थापित एसपी द्वारा थाना प्रभारी का पांच से छह महीने के अंतराल पर ही तबादला कर दिया जा रहा है।
इस प्रकार झारखंड में थाना प्रभारियों के तबादले में नियमों की अनदेखी की जा रही है। वहीं इसके इत्तर झारखंड के पुलिस विभाग में प्रतिनियुक्ति का अलग ही रहस्य है। इसका मतलब होता है अस्थायी थाना प्रभारी यानि प्रभारी का पद खाली भी है और किसी के द्वारा इसे देखा भी जा रहा है। बता दें थाना प्रभारी के पद पर पदस्थापन और हटाने के लिए नियमावली होती है। जिसके तहत हटाने के लिए डीआईजी की अनुमति लेनी होती है। इसलिए पदस्थापन के बदले प्रतिनियुक्ति करके काम चलाया जाता है। बता दें काफी समय पूर्व मुख्यालय स्तर पर इस प्रतिनियुक्ति के झोल को लेकर गंभीर चर्चा भी हुई थी। इसके बाद जिलों में प्रतिनियुक्ति का यह खेल बंद रहा था। मगर पिछले कुछ महीने से जिले में फिर प्रतिनियुक्ति का जिन्न जाग गया है। ऐसे कई मामले सामने आ चुके है जिसमें डीआईजी से परमिशन लिए बिना थाना प्रभारी का तबादला कर दिया गया है। ऐसे ही एक मामले जिसमें बीते चार मार्च को एसपी ने गिद्दी और बरकट्ठा के थाना प्रभारी का डीआईजी से बिना अनुमति लिए तबादला कर दिया था। इसके बाद एक और मामले में 10 जून को डीआईजी से स्वीकृति लिए बगैर चतरा में चार थानेदारों का तबादला कर दिया गया था। इस मामले को डीआईजी ने गंभीरता से लिया था और एसपी से स्पष्टीकरण पूछते हुए चारों थानेदारों का तबादला आदेश को निरस्त करते हुए सूचित करने को कहा था। वहीं मीडिया सूत्रों के अनुसार बीते 20 अगस्त को रांची रेंज डीआईजी की अनुमति बिना रांची जिले के छह आरोपी थाना प्रभारियों का तबादला कर दिया गया था। इसे लेकर झारखंड पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह ने डीजीपी को पत्र लिखा था।