रांची: केंद्र से बकाये रांयल्टि पर राज्य सरकार आर केंद्र के बीच तनाव बढ़ता दिखाई पड़ रहा है। पप्पू यादव के द्वारा झारखंड के बकाए रायल्टी के मामले को उठाए जाने के बाद वित राज्य मंत्री से झारखंड के किसी भी बकाए से इनकार कर देना झारखंड की राजनीति को सुलगा दिया है। आलम ये है कि अब सत्ता पक्ष और विपक्ष के वीच जुबानी जंग का दौर भी शुरू हो चुका है। वहीं इनसबके बीच रॉयल्टी के मुद्दे पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के निशाने पर केंद्र सरकार और कोयला कंपनियां हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने रांची में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस संबंध में भू राजस्व विभाग के द्वारा कोल इंडिया को पत्र के माध्यम से 15 दिन के अंदर जवाब देने को कहा गया है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में तत्कालीन कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि झारखंड का रॉयल्टी का बकाया पैसा लौटाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट रूप से कहा था की रॉयल्टी का पैसा टैक्स के दायरे में नहीं आता है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य सरकार झारखंड से गुजरने वाली रेल माल गाड़ियों पर भी रॉयल्टी वसूलने की तैयारी में है। उन्होंने कहा कि यह सरकार झुकने वाली नहीं है। कोयला कंपनियों को भी सख्त लहजे में सुप्रिया भट्टाचार्य ने कहा कि कंपनी के अधिकारी पहले राज्य सरकार को पैसा दें उसके बाद खनन कार्य करें। झारखंड से भाजपा के सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों पर सवाल खड़ा करते हुए सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि इस गंभीर मुद्दे पर वे चुप्पी क्यों साधे हुए हैं।
सीधे तौर पर कहा गया कि बकाए रकम को यदि नहीं दिया गया तो झारखंड से गुजरने वाली मालगाड़ियों से भी कर वसूला जाएगा। इसके साथ ही कोयले पर पूरी तरह रोक लगा दी जाएगी। इधर इस मुद्दे पर सीएम हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा कि झारखंडियों के हक में इस बकाया राशि का एक-एक रुपये का विस्तृत ब्रेकअप केंद्र सरकार को कई बार दिया जा चुका है – फिर भी भाजपा सरकार द्वारा इसे लगातार नकारना हमारे अधिकारों पर किया जाने वाला एक कुंठित प्रयास है। हम इसे होने नहीं देंगे। झारखंड भाजपा अगर इस मुद्दे पर हम झारखंडियों के साथ अपनी आवाज़ बुलंद नहीं करती है तो यह साफ़ माना जाएगा की वे इस हकमारी में उनकी बराबर की सहभागिता है।
वहीं सीएम के द्वारा प्रदेश बीजेपी को निशाने में लिए जाने के बाद भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने भी पुरजोर पलटवार करते हुए कहा कि कहा कि सर्वप्रथम झारखंड की जनता को झामुमो को बकाया राशि का वर्ष वार ब्यौरा जारी करना चाहिए। यह बताना चाहिए कि जिस समय शिबू सोरेन कोयला मंत्री थे उस समय अगर कोयला की रॉयल्टी का कोई बकाया राशि बचा था तो उन्होंने कितना पैसा झारखंड को दिलवाया। प्रतुल ने हेमंत सरकार के गठबंधन दलों से यह भी जानना चाहा कि 10 वर्ष तक यूपीए सरकार जब शासन कर रही थी तो उस समय का कितना बकाया था और उस बकाया राशि में कितने का झारखंड को भुगतान हुआ?
प्रतुल ने कहा कि अब झारखंड मुक्ति मोर्चा ने चुनाव पूर्व जिन योजनाओं की घोषणा की है उसके लिए शायद ढाई लाख करोड रुपए से भी ज्यादा की जरूरत हो। आंतरिक स्रोत से पैसा हो नहीं पा रहा जिसका सबसे बड़ा उदाहरण मईया सम्मान राशि की 2500 की किस्त अभी तक नहीं जारी होना है। तो अब झामुमो जनता से सहानुभूति बटोरने के लिए बहाने बना रही हैं। प्रतुल ने कहा कि झारखंड बीजेपी झारखंडियों के हित के लिए जो भी उचित कदम हो वह उठाने को तैयार है। केंद्र और राज्य की सहमिति से जो भी सही बकाया राशि सामने आएगी ,उसका भुगतान करने के लिए झारखंड बीजेपी भी सकारात्मक कदम उठाएगी।
लेकिन सरकार को फर्जी नॉरेटिव और आंकड़ों की बाजीगरी का खेल बंद करना चाहिए। सरकार को सबसे पहले यह सार्वजनिक करना चाहिए कि यह जो 1,36,000 करोड़ का दावा कर रही है वह किस वर्ष में किस विभाग से संबंधित है ।पूरा विस्तृत ब्यौरा देना चाहिए।राज्य सरकार के सिर्फ कहने से की कोयला का बकाया, समता जजमेंट का बकाया और भूमि अधिग्रहण का बकाया है से बात नहीं बनेगी।इनको एक-एक चीजों का सिलसिलावर तरीके से विस्तृत विवरण देना चाहिए।
तो कुल मिलाकर कह सकतें है कि रायल्टी पर रार थमने का नाम नहीं ले रहीं। इस मुद्दे पर राज्य सरकार बनाम केंद्र सरकार के साथ साथ जेएमएम बनाम भाजपा भी सियासत को गर्मा कर रहा।