एनटीपीसी जमीन अधिग्रहण के खिलाफ प्रदर्शन में हुए चिरूडीह गोलीकांड मामले में पूर्व मंत्री योगेंद्र साव झारखंड हाईकोर्ट से बेल मिल गया है। उनके जेल से बाहर निकलने के पूरे आसार हैं। झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आस मुखोपाध्याय और जस्टिस अंबुज नाथ की खंडपीठ में में सुनवाई हुई। जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस अंबुज नाथ की खंडपीठ ने पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को जमानत की सुविधा प्रदान कर दी है। इस मामले में योगेंद्र साव को निचली अदालत से 10 साल की कारावास की सजा सुनाई गई है। जिसके खिलाफ उनकी ओर से अपील दाखिल की गई थी। अपील के साथ-साथ उनकी ओर से जमानत देने की भी गुहार लगाई गई थी। चिरूडीह गोलीकांड मामले में पूर्व मंत्री योगेंद्र और पूर्व विधायक निर्मला देवी जेल में हैं।
पुलिस के साथ हो गई थी हिंसक झड़प
उल्लेखनीय है कि बड़कागढ़ के चिरूडीह के खनन क्षेत्र में एनटीपीसी को जमीन दी गई गई थी। पूर्व मंत्री योगेंद्र साव व तत्कालीन विधायक निर्मला देवी अधिग्रहण का विरोध कर रहे थे। 15 सितंबर, 2016 को निर्मला देवी समर्थकों के साथ कफन सत्याग्रह पर बैठ गई। यह सत्याग्रह 30 सितंबर तक जारी रहा। 1 अक्टूबर की सुबह छह बजे एएसपी कुलदीप कुमार, सीओ शैलेश कुमार सिंह अन्य पुलिस अधिकारी व जवानों के साथ मौके पर पहुंचे। सत्याग्रह कर रहे लोगों को विरोध समाप्त करने की अपील की, नहीं मानने पर पुलिस बल ने विधायक निर्मला देवी को हिरासत में ले लिया। इसके बाद पुलिस के साथ हिंसक झड़प हो गई। भीड़ ने पुलिस टीम पर हमला कर विधायक को छुड़ा लिया था।
चार लोगों की मौत भी हुई थी
हिंसा में एसएसपी कुलदीप, सीओ शैलेश कुमार सिंह सहित कई अधिकारी व जवान घायल हो गए। विरोध प्रदर्शन कर रहे चार लोगों की भी मौत हो गई। आनन-फानन में घायल अधिकारियों को एयरलिफ्ट कर रांची के मेडिका अस्पताल लाया गया। 2 अक्टूबर, 2016 को बड़कागांव में प्राथमिकी दर्ज कराई गई, जिसमें पूर्व मंत्री योगेंद्र साव तत्कालीन विधायक निर्मला देवी एवं अंकित के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई। इसी मामले में अदालत ने पूर्व मंत्री योगेन्द्र साव को दस साल की सजा सुनाई है। जिसके बाद पूर्व मंत्री ने निचली अदालत से मिली सजा को निरस्त करने को लेकर हाईकोर्ट में गुहार लगाई है।