हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार ने शुक्रवार को झारखंड विधानसभा से ऐतिहासिक निर्णयों वाले दो विधेयक ध्वनिमत से पारित करा दिया। अब राज्य में स्थानीयता का आधार 1932 का खतियान या उसके पूर्व का सर्वे होगा। राज्य सरकार में तृतीय और चतुर्थ वर्गों की नौकरियां सिर्फ 1932 के खतियान या पूर्व के सर्वे में शामिल लोगों के वंशजों के लिए आरक्षित होंगी। इसी तरह ओबीसी आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी हो जाएगा। राज्य में कुल 77 प्रतिशत आरक्षण लागू होगा। विधानसभा ने इन दोनों विधेयकों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव भी पारित किया है। यानी इन्हें केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। केंद्र की मंजूरी के बाद ही ये कानून का रूप लेंगे। केंद्र की ओर से इन्हें नौवीं अनुसूची में शामिल कराये जाने के बाद ही दोनों विधेयक कानून का रूप लेंगे। बता दें कि नौवीं अनुसूची में शामिल होने वाले कानूनों को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इन दोनों विधेयकों को ऐतिहासिक बताया है. उन्होंने कहा कि हमने राज्य की जनता से जो वादा किया था, वह पूरा कर दिया है। पिछली सरकार ने राज्य में ओबीसी आरक्षण घटा दिया था। हमने पिछड़ों के हक छीनने की उनकी कोशिश विफल कर दी है। विधानसभा में इन विधेयकों पर चर्चा के दौरान विपक्ष की आपत्तियों का खारिज करते हुए कहा आदिवासी अब बोका (बेवकूफ) नहीं रहा। जिसे आपलोग बोका समझते हैं, वही आपको धो-पोंछकर बाहर फेंक देगा।
विधानसभा में पारित किए गए ‘झारखंड में पदों और सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण संशोधन विधेयक 2022’ के कानून का रूप लेने पर पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को मिलने वाले आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत हो जाएगा. इसी तरह अनुसूचित जाति (एससी) को मिलने वाला आरक्षण 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का आरक्षण 26 से बढ़ाकर 28 प्रतिशत हो जाएगा. इसके अलावा अत्यंत पिछड़ा वर्ग (इडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. इस तरह कुल मिलाकर राज्य में अब आरक्षण का प्रतिशत 50 से बढ़कर 77 हो जायेगा।
इस फैसले से लोगों में खुशी, फोड़े पटाखे
विधानसभा सत्र के दौरान 1932 खतिहान पर सीएम के इस फैसले से लोग काफी खुश हैं। लोगों ने विधानसभा के पास पटाखे फोड़े और ढोल-नगाड़े बजाकर डांस भी किया। इस दौरान काफी संख्या में लोग एकजुट होकर जश्न मनाया।