सीबीआई ने पूर्व आईएएस महावीर प्रसाद के साथ धोखाधड़ी करने वाले बैंकर प्रेम प्रकाश के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। प्रेम प्रकाश पर रिटायर्ड आईएएस महावीर प्रसाद के बैंक खाते में धोखाधड़ी करने का आरोप लगा है। अवैध तरीके से जल्दी पैसा कमाने की बेताबी में उसने अपनी विधवा मां प्रभा सिन्हा को भी बैंक घोटाले में घसीटा।
आईएएस पूजा सिंघल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को रांची, पटना, बनारस और सासाराम स्थित उसके ठिकानों पर छापेमारी की है। मिल रही जानकारी के मुताबिक, पिछली भाजपा की रघुवर दास सरकार और वर्तमान हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान प्रेम प्रकाश का सत्ता के शीर्ष से बेहतर संबंध रहे हैं।
प्रेम प्रकाश को भारतीय स्टेट बैंक में अनुकंपा पर नौकरी मिली थी। सासाराम के स्टेट बैंक कॉलोनी, फजलपुर के रहने वाले प्रेम प्रकाश के पिता प्रमोद कुमार सिन्हा भी एसबीआई में बैंकर थे। उनके आकस्मिक निधन के बाद प्रेम प्रकाश को अनुकंपा पर एसबीआई में सहायक के पद पर नियुक्त किया गया था। बैंक से फर्जीवाड़े का आ रहा पूरा मामला करीब 20 साल पुराना है।
क्या है मामला?
प्रेम प्रकाश फरवरी 2002 में पटना में एसबीआई की राजभवन शाखा में तैनात थे। उस दौरान कथित तौर पर 26.5 लाख रुपये निकाले गए थे। एसबीआई ने तत्कालीन शाखा प्रबंधक बिपिन बिहारी पाठक, प्रेम प्रकाश, कौशलेश रंजन, प्रभा सिन्हा और पंकज प्रसून के खिलाफ 23 मार्च को सचिवालय थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्रेम प्रकाश कई महीनों तक फरार रहे थे। आईएएस पूजा सिंघल के खिलाफ चल रहे मामले से तार जुड़ने के बाद एफआईआर संख्या 8ए/2005 पर भी सीबीआई ने तहकीकात शुरू कर दी है।
प्रभा सिन्हा की मदद से प्रेम प्रकाश ने निकाली पूरी रकम
दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, प्रेम प्रकाश ने 21 फरवरी 2002 को यूको बैंक की मुखर्जी नगर, दिल्ली शाखा के खाताधारक पंकज प्रसून की ओर से प्रभा सिन्हा के खाते में 21 लाख रुपये का चेक जमा कराया गया। बिपिन बिहारी पाठक ने इसे क्रेडिट करने की अनुमति दी। प्रेम प्रकाश और उनकी मां का ज्वाइंट अकाउंट बैंक में थाा। उसी दिन प्रेम प्रकाश ने प्रभा सिन्हा की मदद से लगभग पूरी रकम निकाल ली।
प्रेम प्रकाश ने दिल्ली के अदाकर्ता बैंक को लौटा दिया 21 लाख का चेक
पैसा निकाले जाने के बाद प्रेम प्रकाश ने दिल्ली के अदाकर्ता बैंक को 21 लाख का चेक वापस लौटा दिया। इसमें भुगतान नहीं दिखाया गया। जब यह मामला सामने आया तो एसबीआई के अधिकारी हैरान रह गए। कुछ दिनों के बाद एक और ऐसा ही मामला सामने आया। इसमें केनरा बैंक की पाटलिपुत्र शाखा की ओर से जारी किए गए 4.5 लाख के चेक को कौशलेश रंजन के खाते में जमा कराया गया। बिपिन बिहारी पाठक ने पैसा जमा कराने की अनुमति दी। पैसा जमा होने के बाद खाते से राशि निकाल ली गई। लेकिन, एक बार फिर चेक बिना क्लियरेंस के केनरा बैंक की पाटलिपुत्र शाखा को वापस कर दिया गया।
25 लाख की अवैध निकासी पर पर्दा डालने को फिर जालसाजी की
बैंक में फर्जी निकासी का मामला गरमाने लगा। 25 लाख की अवैध निकासी के मामले पर पर्दा डालने के लिए उन लोगों ने मिलकर एक और जालसाजी की। बैंक अधिकारियों की ओर से शिकंजा कसे जाने के बाद प्रेम प्रकाश ने महावीर प्रसाद के नाम पर एक फर्जी पत्र तैयार किया। यह पत्र एसबीआई की राजभवन शाखा को लिखा गया। इसमें अनुरोध किया गया कि वह अपनी पांच सावधि जमा रसीदों की आय प्रभा सिन्हा के खाते में जमा कर रहे हैं। इसके लिए एक बार फिर से शाखा प्रबंधक ने एसटीडीआर के समय से पहले भुगतान की अनुमति दे दी। महावीर प्रसाद के पांच सावधि जमा रसीदों की आय को प्रेम प्रकाश और उनकी मां के खाते में जमा किया गया। इसके बाद उसने बैंक से 1.5 लाख रुपये निकाल लिए।
दशकों ने सीबीआई ने की कार्रवाई
मामला जब महावीर प्रसाद के संज्ञान में आया, तब तक उनके खाते में राशि वापस आ चुकी थी। लालू प्रसाद यादव के प्रमुख सचिव और हजारीबाग के डीसी रहे महावीर प्रसाद ने इस ममले में कहा है कि जब मुझे इसके बारे में उसी साल मार्च में पता चला तो बैंक ने मेरी राशि वापस कर दी थी। उसने जाली पत्र बनाया और मेरे और मेरी पत्नी के जाली हस्ताक्षर किए। मुझे इस बात की भनक तक नहीं थी कि प्रेम प्रकाश ने इतनी अधिक राशि के दस्तावेजों की जालसाजी की है। सीबीआई ने मामले को अपने हाथ में लिया। लेकिन, मुझे नहीं पता कि इस मामले में वास्तव में क्या हुआ था? दशकों बाद सीबीआई ने इस गंदे खेल के मामले में कार्रवाई की है।
2014 में, पटना उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अंजना प्रकाश की एकल पीठ ने प्रेम प्रकाश की केस को रद्द करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। वहीं, इस मामले में सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा कि मामला अभी ट्रायल के दौर में है। इस मामले में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।