RANCHI : झारखंड में राज्यपाल और सरकार के बीच पहले से ही खींचतान चल रही है। अब नए राज्यपाल के आने के बाद भी यह सिलसिला जारी है। इस बीच खींचतान में स्पीकर रवींद्रनाथ महतो भी कूद पड़े है। उन्होंने राजभवन को बीजेपी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया है। वहीं उनके बाद जेएमएम के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने भी राज्यपाल पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि राज्यपाल राधाकृष्णन भाजपा के केंद्रीय और प्रदेश के नेताओं का काम कर रहे हैं। राज्यपाल राज्य सरकार को उचित परामर्श देने के बदले केवल केंद्र सरकार की योजनाओं का प्रचार कर रहे हैं।
भाजपा के नेता मोदी जी के नौ साल का गुणगान तो कर ही रहे हैं, अगर राज्यपाल ही यह काम करने लगेंगे तो भाजपा के नेता क्या करेंगे। उन्होंने कहा कि जिलों के दौरे में राज्यपाल कहीं भी सर्वजन पेंशन, ओल्ड पेंशन स्कीम, सावित्री बाई फूले योजना आदि की सफलता का जिक्र नहीं करते। वह तो केवल नल जल योजना, उज्ज्वला जैसी योजनाओं का बखान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राज्य को ट्रैक पर लाने में लगी है। इस क्रम में अगर इसे डिस्टर्ब करने का प्रयास हुआ तो उसका करारा जवाब देंगे।
क्या कहा था विधानसभा स्पीकर ने
उन्होंने हाल ही में एक जनसभा को संबोधित करते हुए राजभवन पर निशाना साधा था। जिसमें उन्होंने राजभवन पर पारोक्ष रूप से बीजेपी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया। स्पीकर ने कहा था कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आदिवासियों की पहचान सरना धर्म कोड को विधानसभा में पारित कराया गया। इसके बाद उसे राज्यपाल के पास भेजा गया, लेकिन राजभवन ने उस बिल को वापस लौटा दिया। उन्होंने कहा कि अगर ये बिल पारित हो जाता तो पता लगाया जा सकता था कि देश में आदिवासी भाई-बहनों की संख्या कितनी है, लेकिन ऐसा क्यों नहीं होने दिया गया ये बात समझ से परे है। रवींद्रनाथ महतो ने 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता विधेयक लौटाए जाने की आलोचना करते हुए कहा कि झारखंड की नागरिकता का बिल लौटाया गया। राजभवन बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है।