लोकसभा चुनाव 2024 का अब बस आखरी चरण का मतदान बचा है। 1 मई को सातवें फेज में वोटिंग होनी है। इसके बाद 4 जून को नतीजे सामने आ जाएंगे। इस बीच झारखंड में गोड्डा लोकसभा सीट का मुकाबला आमने-सामने का लग रहा है। जिसमें BJP के निवर्तमान सांसद निशिकांत दुबे और कांग्रेस के प्रदीप यादव के बीच भारी मुकाबला है। लेकिन इस पूरी राजनितिक लड़ाई में संथाल की दो सबसे बड़े राजनीतिक घराने की एंट्री ने पूरे खेल को और दिलचस्प बना दिया है।
बता दें कि एक समय था जब भाजपा को संथाल की दो सबसे बड़े राजनीतिक घराने का आशीर्वाद मिलता था। लेकिन अब भाजपा के सामने यही संथाल काफी मुश्किलें खड़ा कर रहे हैं। क्योंकि इन राजनीतिक परिवार के सदस्य ही संथाल का सियासी खेल बिगाड़ने में लगे हैं। इस कारण से दिग्गजों की नींद उड़ी हुई है।
पहला नाम सोरेन परिवार का है, जिसकी साख वैसे तो पूरे राज्य में है लेकिन संथाल ही इनकी कर्मभूमि रही है। अगर गोड्डा में इनकी दखल की बात करें तो निवर्तमान सांसद और भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे को 2009 में शिबू सोरेन के सबसे बड़े बेटे दुर्गा सोरेन की अचानक एंट्री के बाद ही मिली थी। क्योंकि तब गठबंधन के विरुद्ध दुर्गा सोरेन ने नामांकन करके 90 हजार वोट लाकर निशिकांत दुबे को पांच हजार मत से जीत दिलाने में मदद की थी।
उस निशिकांत दुबे घोर सोरेन परिवार विरोधी होने के बावजूद दुर्गा सोरेन को अपना मित्र बताते नहीं थकते थे। हालांकि इसके कुछ दिन बाद दुर्गा सोरेन का निधन हो गया और दूसरी ओर निशिकांत दुबे ने लगातार 3 चुनाव जीता। हालांकि तब भी गठबंधन के खिलाफ दुर्गा चुनाव लड़े थे। आज निशिकांत दुबे के निशाने पर सबसे अधिक शिबू सोरेन का परिवार है। वे हेमंत सोरेन के जेल जाने तक का श्रेय भी खुद लेने से नहीं थकते।
दूसरी ओर देवघर के बिनोदा बाबू का परिवार, पूर्व मुख्यमंत्री बिनोदानंद झा का परिवार है। इनके बेटे कृष्णनंद झा मंत्री रहे और अब इनके पोते अभिषेक आनंद झा ने भाजपा छोड़ गोड्डा लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवारी ठोक दी है। 2009 में अभिषेक झा ने मधुपुर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और झामुमो के हाजी हुसैन से हार गए थे। उस समय ये बड़ी बात थी कि राज पालीवाल का टिकट काट कर अभिषेक आनंद झा को उम्मीदवार बनाया गया था। जिसमें वर्तमान गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे का बड़ा योगदान माना जाता है।