RANCHI: प्रकृति, सौहार्द और सामूहिकता का पर्व सरहुल पर आदिवासी धर्मगुरु जगलाल पाहन ने परंपरा के अनुसार शुक्रवार की सुबह पूजा-अर्चना की और बीते कल घड़ों में रखे पानी का सुबह में मुआयना करने के बाद भविष्यवाणी की। उन्होंने बताया कि इस वर्ष मानसून की सामान्य बारिश होगी। वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज आदिवासी छात्रावास करमटोली पहुंचे। वहां उनका पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। उन्होंने राज्यवासियों को सरहुल पर्व पर शुभकामनाएं देने के बाद अखड़ा में पूजा-अर्चना की। साथ ही मांदर की थाप पर झूमते नजर आए। इसके बाद मुख्यमंत्री सिरम टोली स्थित सरना स्थल भी गये। वहां भी उन्होंने पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना की और पारंपरिक नृत्य किया।
केकड़ा पकड़ने की परंपरा
सरहुल पर्व में आदिवासी और जनजाति समुदाय धरती मां और भगवान सूर्य से फल-फूल, पत्तियों के इस्तेमाल की इजाजत भी मांगते हैं। जगलाल पाहन ने बताया कि इससे पहले फल-फूल का सेवन वर्जित रहता है। सरहुल पूजा के साथ ही नए वर्ष का कृषि चक्र भी शुरू हो जाता है। सरहुल में मुख्यतः तीन दिन का आयोजन होता है, जिसमें पहले दिन जनजातीय समाज के लोग उपवास रखते हैं। सुबह खेत एवं जलाशयों में जाकर केकड़ा व मछली पकड़ते हैं। पूजा के बाद रसोई में उसे सुरक्षित रख देते हैं। ऐसी मान्यता है कि फसल बोने के समय केकड़ा को गोबर पानी से धोया जाता है, उसके बाद उसी गोबर पानी से फसलों के बीज को भीगा कर खेतों में डाला जाता है।