रांची: आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए की सरगर्मी तेज हो गयी है। झारखंड निर्माण के समय से ही बीजेपी आजसू एकसाथ सरकार का चेहरा रहें हैं। वहीं इतने सालों के राजनीतिक सफर में 2019 का चुनाव इनकी दोस्ती में दरार डालता हुआ दिखा था, परंतु हिमंता बिस्वा सरमा ने पुन: अपने पुराने साथी का हाथ न छोड़ने के विचार से ओतप्रोत होकर सभी नाखुश मित्रों को एक पटरी में लाने की भूमिका में नजर आ रहे हैं।
इसी बाबत आजसू सुप्रिमों सुदेश महतो ने दिल्ली दरबार का रूख किया। यहां दिल्ली में अमित शाह के साथ सुदेश ने वार्ता की। माना जा रहा है कि इस भेंटवार्ता में झारखंड चुनाव प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा की अहम भूमिका रही। अपनी पिछली गलतियों को न दुहराते हुए सीट शेयरिंग पर दोनो दल एक सहमति बिंदु पर आने की कोशिश करेंगे। हालांकि इससे पूर्व भी अमित शाह और सुदेश महतो की दिल्ली में मुलाकात हो चुकी है। ये उनकी दूसरी बैठक होगी। सूत्रों से आ रही सूचना के आधार पर कहा जा सकता है कि यह बैठक एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर महत्वपूर्ण होगा, खासकर पिछले चुनावों में गठबंधन टूटने के अनुभव को देखते हुए। वहीं रायशुमारी और सर्वेक्षण के आधार पर इस बार पार्टीज के बीच चर्चा की जा रही है कि किस सीट पर किस पार्टी की दावेदारी मजबूत है।
वहीं इन दोनों मित्र दलों की सीट शेयरिंग के मसले की बात की जाए तो चंदन कियारी, तमाड़, ईचागढ़ और लोहरदगा जैसी सीटों पर ये दोनों ही दल अपनी दावेदारी कर रहें हैं।इन सीटों पर बीजेपी भी अपनी पूरी दावेदारी पेश कर रही वहीं आजसू भी इस सीट पर अपनी महत्वपूर्ण पकड़ बताते हुए इसे खोने देना नहीं चाह रही है। जिससे दोनों पार्टी के बीच आपसी सहमति बनाने की कोशिशें चल रही हैं। 2019 में गलतफहमियों के कारण गठबंधन टूट गया था, जिसका खामियाजा दोनों दलों को भुगतना पड़ा था। बता दें इस बैठक में हिमंता बिस्वा सरमा भी मौजूद रहे। हालांकि इस बार परिस्थितिया पिछली बार की तुलना में काफी जुदा है। इस बार बीजेपी के सहयोगी दलों की संख्या भी बढ़ गयी है। लोजपा आर और जदयू इस बार झारखंड की राजनीति में बीजेपी के नए सहयोगी दल के रूप में उभर कर सामने आये है। इसलिए माना जा रहा की आजसू को भी अपनी जिद छोड़नी होगी ओर किसी एक बिंदु पर सहमति देनी चाहिए ताकि सत्ता वापसी की सथिति में आजसू की भी भगीदारी बनी रहे।