रांची: विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग एवं राष्ट्रीय सनातन एकता मंच के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि विवाह पंचमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष पंचमी तिथि 5 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 6 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 6 दिसंबर को विवाह पंचमी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता की शादी की वर्षगाँठ मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता का दिव्य विवाह हुआ था। विवाह पंचमी का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सनातन धर्म से जुड़े लोग विवाह पंचमी के पर्व के आने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था। इसलिए इस तिथि पर विवाह पंचमी मनाई जाती है। साथ ही इस तिथि पर अन्न, धन और सोलह श्रृंगार का दान करना शुभ माना जाता है। इस दिन राम जी और माता सीता को प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए। विवाह पंचमी के दिन विशेष रूप से राम कथा का श्रवण और राम-सीता के विवाह के प्रसंग की पूजा की जाती है। विवाह पंचमी का महत्व इस बात से है कि यह भगवान राम और माता सीता के आदर्श वैवाहिक संबंधों का प्रतीक है।
राम और सीता का विवाह केवल एक पारिवारिक आयोजन नहीं, बल्कि यह धर्म, सत्य, प्रेम, और त्याग का अनुपम उदाहरण है। भगवान राम ने माता सीता के साथ अपने विवाह से यह संदेश दिया कि प्रेम और श्रद्धा से परिपूर्ण संबंध ही जीवन का सर्वोत्तम आधार हैं। वे दोनों ही अपने जीवन में प्रत्येक कर्तव्य को निभाने में समर्पित थे। राम ने हमेशा अपने धर्म और कर्तव्यों को प्राथमिकता दी, वहीं सीता ने भी अपने जीवन के प्रत्येक कदम में त्याग और सत्य के रास्ते पर चलने की प्रेरणा दी। विवाह पंचमी हमें यह समझाती है कि विवाह केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक और धार्मिक जिम्मेदारी का भी प्रतीक है।
एक सफल विवाह संबंध के लिए दोनों पार्टनरों को एक-दूसरे के प्रति प्रेम, सम्मान और त्याग की भावना से भरा होना चाहिए। भगवान राम और सीता के विवाह के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि एक अच्छा वैवाहिक जीवन त्याग, समझदारी और विश्वास पर आधारित होना चाहिए।इस दिन को मनाते हुए हम अपने जीवन में भी राम-सीता के आदर्शों को अपनाने का संकल्प लें, ताकि हम अपने रिश्तों को सत्य, प्रेम, और आदर्श की नींव पर सशक्त बना सकें। विवाह पंचमी का यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह समाज में रिश्तों के सशक्तीकरण और समृद्धि के लिए एक प्रेरणा भी है।