कोल्हान क्षेत्र में आज सुबह 7 बजे से विधानसभा चुनाव के लिए मतदान शुरू हो चुका है, और चुनावी माहौल खासा उत्साहित है। क्षेत्र की 14 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हो रही है, जिनमें से 9 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इस चुनाव में मुख्य मुकाबला एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) और इंडिया (इंडिया गठबंधन) के बीच होने की संभावना है।
इस क्षेत्र के तीन जिलों – पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला खरसावा – में 14 सीटें हैं। खासकर युवा मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है, जो कुल मतदाताओं का 52.38% बनाती है। यह युवा वर्ग (18 से 40 वर्ष आयु) चुनावी परिणामों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। महिला और पुरुष मतदाताओं के बीच भी संख्या लगभग बराबरी की है, जो इस चुनाव को और भी दिलचस्प बनाता है।
कोल्हान क्षेत्र का आज का मतदान सिर्फ क्षेत्रीय राजनीति के लिए नहीं, बल्कि राज्य की प्रमुख हस्तियों के राजनीतिक भविष्य को भी तय करेगा। कई बड़े नाम इस चुनाव में अपनी जमीनी पकड़ साबित करने के लिए मैदान में हैं, और ये चुनाव उनके लिए करियर की दिशा तय कर सकता है।
पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को लेकर सबकी नजरें हैं। वे इस चुनाव के सबसे बड़े राजनीतिक चेहरों में से एक हैं, और उनकी जीत या हार को लेकर लोग उत्सुक हैं। इसके साथ ही, पूर्णिमा दास साहू की जमशेदपुर पूर्वी सीट पर जीत-हार ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की राजनीतिक स्थिति पर भी असर डालेगी। रघुवर दास, जो पहले झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, चुनावी राजनीति में फिर से सक्रिय हैं, और उनकी प्रतिष्ठा इस चुनाव में दांव पर लगी हुई है।
पोटका सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा की प्रतिष्ठा भी जुड़ी हुई है। इस सीट पर उनकी जीत या हार सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि परिवार की राजनीतिक स्थिति के लिए भी अहम होगी।
जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा सीट पर जो मुकाबला है, वह सबसे दिलचस्प है। यहां सरयू राय और मंत्री बन्ना गुप्ता आमने-सामने हैं। सरयू राय ने पिछले चुनाव में रघुवर दास को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में हराकर सभी को चौंका दिया था। अब वे फिर से मैदान में हैं, और यह मुकाबला यह तय करेगा कि उनकी राजनीतिक पकड़ कितनी मजबूत है, जबकि बन्ना गुप्ता की जमीनी स्तर पर पकड़ भी किसी से कम नहीं है।
इन सभी प्रमुख नेताओं के चुनावी नतीजे केवल उनके व्यक्तिगत करियर के लिए नहीं, बल्कि राज्य की राजनीति के लिए भी अहम संकेतक होंगे। इन सीटों पर मतदान के परिणाम से यह भी साफ हो सकता है कि झारखंड की राजनीति में कौन सी दिशा तय होगी और कौन से नेता अगले कुछ वर्षों में प्रमुख भूमिका में होंगे।