रांची: बाबूलाल मरांडी ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर कोयला के अवैध खनन पर हाईकोर्ट के आदेश को लेकर सीएम के प्रतिकार को संदेहास्पद बताया है। बता दे उन्होंने बाकायदा हेमंत सोरेन को कटघरे में खड़ा कर पूछा है कि आखिर क्यों हेमंत सरकार कोयला चोरों को सामने नहीं आने देना चाहती। बाबूलाल ने इशारों इशारों में हेमंत सोरेन को कहा कि क्यों हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार अवैध खनन पर जांच के खिलाफ जा रही। इसे लेकर ट्वीटर पर अपने पोस्ट में बाबूलाल मरांडी ने लिखा कि सरकार का काम है चोरों को पकड़ना, गड़बड़ी की जाँच कराना, दोषियों को न्यायालय से सजा दिलवाना।
लेकिन हेमंत सोरेन की सरकार ठीक उसके उलट हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में सरकारी पैसे से देश के मशहूर वकीलों की टीम रखकर घोटाले की जाँच नहीं होने देने, घोटालेबाज़ों – चोरों को बचाने के लिये बार-बार न्यायालय के शरण में जाकर जॉंच को लटकाने-भटकाने का काम करती रही है। हम पहले बता दे रहे हैं कि धनबाद में पिछले पॉंच सालों में आज़ादी के बाद के सबसे बड़े कोयला चोरी और घोटाले की सीबीआई/ईडी जॉंच के लिये हाईकोर्ट द्वारा दिये गये आदेश को रोकवाने एवं चोरी में शामिल अफ़सरों को बचाने के लिये हेमंत जी सुप्रीम कोर्ट जायेंगे। हेमंत जी, सॉंच को ऑंच क्या ? अगर कोयला चोरी का माल आपने नहीं खाया है तो डर काहे का?
जॉंच होने दीजिये। सच सामने आ जायेगा। जो खाया है वो भुगतेगा। और अगर आपने भी खाया है तब तो जॉंच को रोकवाना, लटकाना-भटकाना आपकी मजबूरी है। भले जॉंच नहीं होने देने और चोरों को बचाने के लिये ग़रीबों की गाढ़ी कमाई का करोड़ों रूपया क्यों न फूंकना पड़े? हॉं इतना ज़रूर याद रखिये ये जो पब्लिक है न वो सब देख-समझ रही है। बता दें अवैध खनन को लेकर झारखंड हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अब इस जांच में ईडी भी शामिल होगी। अदालत ने कहा है कि प्रारंभिक जांच में आरोपों को सही पाए जाने के बाद नियमित प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच की जाए। न्यायालय ने सभी पुलिस अफसर को प्रारंभिक जांच में सीबीआई को सहयोग करने का भी निर्देश दिया है। इस आदेश के बाद धनबाद के तत्कालीन पुलिस महकमे पर एक और गाज गिरा है।
इससे तत्कालीन एसएसपी और डीएसपी समेत कई पुलिस अधिकारी फंसते नजर आ रहे हैं। खासकर आईपीएस अधिकारी संजीव कुमार का नाम चर्चा में है। मालूम हो कि कोर्ट ने अरूप चटर्जी की ओर से दायर रिट याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार द्वारा अपनाए गए रवैया पर तल्ख टिप्पणी की है। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि सरकार इस बात पर आमादा थी की अदालत कोई आदेश पारित नहीं कर सके। अदालत ने याचिका पर सुनवाई करने और फैसला सुरक्षित रखने के बाद राज्य सरकार की ओर से दायर आए संख्या 10676 को गंभीरता से लिया है।