RANCHI : सनातन संस्कृति हिंदू मान्यता के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष के एकादशी तिथि को मनाया जाने वाला त्योहार करम एकादशी मूल रूप से बहन एवं भाइयों के आपसी प्रेम की प्रकाष्ठा को प्रदर्शित करता है। मान्यता के अनुसार इस दिन बहनों के द्वारा भाइयों के सुख समृद्धि और दीर्घायु होने की कामना के साथ पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। इसी कड़ी में राजधानी रांची के रांची विश्वविद्यालय के अधीनस्थ जनजाति एवं क्षेत्रीय विभाग में काफी धूमधाम और परंपरिकता से करम पूजा महोत्सव मनाया गया। इस पूजा महोत्सव में झारखंड के राज्यपाल लोकसभा सांसद एवं रांची विश्वविद्यालय शैक्षणिक संस्था से जुड़े लोग उपस्थित रहे। कर्म पर्व के अवसर पर राज्यपाल ने आदिवासी रीति के अनुसार करम पेड़ का पूजन किया। पहली बार करम पूजा मे शामिल झारखंड के राज्यपाल ने प्रकृति पर अपनी अटूट आस्था प्रकट करते हुए पारंपरिक नृत्य संगीत का आनंद उठाया, साथ ही झारखंड के पारंपरिक वाद्य मांदर को बजाया एवं इसके थाप पर थिरकते नजर आए।
करम पर्व में शामिल राज्यपाल झूम उठे
कार्यक्रम में राज्यपाल ने कहा कि जिस प्रकार से वातावरण एवं प्रकृति के संरक्षण के लिए आदिवासी समुदाय सदैव तत्पर रहते हैं एवं प्राकृतिक प्रेमी और पूजक होते है, ये हमारे समाज के लिए मौलिक चरित्र के रूप में वातावरण और प्रकृति को संरक्षित करने के लिए एक प्रकार से उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। वहीं उन्होंने दक्षिण भारतीय त्योहार मे करम पर्ब से मिलता जुलता त्योहार का भी लोकगीत गुनगुना कर भी बतलाया।
प्राकृतिक संरक्षण की आवश्यकता हम सबों को मिलकर करनी चाहिए : संजय सेठ
कार्यक्रम में उपस्थित रांची लोकसभा सांसद संजय सेठ ने कहा कि जिस प्रकार से पूरी दुनिया और झारखंड ग्लोबल वार्मिंग के समस्या से जूझ रहा है, ऐसे परिपेक्ष्य में प्राकृतिक संरक्षण की आवश्यकता हम सबों को मिलकर करनी चाहिए और ऐसे में इस प्रकार के प्राकृतिक पर्व पर हम सबों को मिलकर प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित रखने के प्रति कटिबंध होनी चाहिए।