पटना में 15 विपक्षी दलों की बैठक खत्म हो गई है। इसके बाद नीतीश कुमार बैठक में शामिल दलों के नेता के साथ प्रेस कांफ्रेस करने पहुंचे। लेकिन प्रेस कांफ्रेस में आम आदमी पार्टी के नेता नहीं दिखे। ऐसा माना जा रहा ही अध्यादेश को लेकर केजरीवाल विपक्षी एकता से बाहर हो गए हैं। प्रेस कांफ्रेस में ना तो अरविंद केजरीवाल दिखे ना ही भगवंत मान इनके आलावा आप के नए नेता संजय सिंह और राघव चड्डा भी नहीं दिखे। बाकि दलों ने विपक्षी एकता को लेकर सहमती बन जाने की बात कही। वहीं जब नीतीश कुमार से केजरीवाल के ना होने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कुछ लोगों की फ्लाईट जल्दी थी इसलिए वो लोग निकल गए।
विपक्षी दलों पहली बैठक खत्म, 12 जुलाई को शिमला में दूसरी बैठक
अध्यादेश के विरोध पर नहीं बनी बात
खबर ऐसी है कि दिल्ली में जो अध्यादेश केंद्र सरकार द्वारा लाया जा रहा है। उसके खिलाफ में केजरीवाल विपक्षी दलों का समर्थन चाहते थे। विपक्षी एकता वाली बैठक में भी इस बात पर चर्चा करने की कोशिश केजरीवाल की तरफ से की गई। लेकिन कई दल खास कर कांग्रेस ने इसपर ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई। जिस कारण केजरीवाल ने विपक्षी एकता से खुद को और खुद की पार्टी को अलग कर लिया है। यही कारण है कि विपक्षी दलों की साझा प्रेस कांफ्रेस में केजरीवाल और उनके दल के कोई भी नेता शामिल नहीं हुए। जानकारी मिली है कि बैठक में केजरीवाल के समर्थन में उद्वव ठाकरे ने दिल्ली में लाए जा रहे अध्यादेश के खिलाफ समर्थन देने की मांग की। जिसके बाद कांग्रेस की तरफ से अध्यादेश पर संसद के अंदर चर्चा करने की बात कही। इस दौरान उमर अब्दुल्ला ने केजरीवाल ने धारा 370 पर उनका स्टैंड साफ नहीं रहने की याद दिलाई।
पहले लिखी चिठ्ठी लिखकर की थी मांग
दरअसल पूरा मामला दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार से जुड़ा हुआ है। ये अधिकार दिल्ली के LG के पास था। मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को ये अधिकार देने का आदेश दिया। जिसके बाद केंद्र सरकार LG को अधिकार देने को लेकर अध्यादेश लाने जा रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चाहते है कि जब संसद में ये अध्यादेश आए तो विपक्षी पार्टियां इसका विरोध करें। इसको लेकर वो कई विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात भी कर चुके है। अब जब सभी विपक्षी दलों के नेता एक साथ एक बठक में शमील होने जा रहे हैं तो केजरीवाल की मांग है कि इस विषय पर भी चर्चा जरुर हो।
इसके लिए उन्होंने कल एक चिट्टी भी लिखी थी। जिसमें केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली का अध्यादेश एक प्रयोग है, यह सफल हुआ तो केंद्र सरकार गैर भाजपा राज्यों के लिए ऐसे ही अध्यादेश लाकर राज्य सरकारों का अधिकार छीन लेगी। इसलिए बैठक में सबसे पहले इसी पर चर्चा होनी चाहिए। लेकिन बैठक में इस पर सहमति नहीं बन पाई।