23 जून को बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों की बड़ी बैठक होने वाली है। जिसमें भाजपा के विरोध की राजनीति करने वाले कई दलों के शीर्ष नेता पहुंच रहे हैं। पटना की सड़के उनके स्वागत में लगे पोस्टरों से पटी पड़ी है। लेकिन बैठक से पहले ही कई दल के नेता अपने हित को लेकर भी जुगाड़ में लगे हुए हैं। उन्ही में से एक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी हैं। बैठक से पहले केजरीवाल ने एक चिठ्ठी लिख कर बड़ी मांग की है। उनकी मांग है कि दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर जो अध्यादेश केंद्र सरकार ला रही है उसका विरोध कराने को लेकर भी बैठक में चर्चा होनी चाहिए।
हैदराबाद में निर्माणाधीन फ्लाईओवर गिरा, घायलों में बिहार के 4 मजदूर शामिल
केजरीवाल की चिठ्ठी
केजरीवाल ने अपनी चिठ्ठी में लिखा कि ‘आप लोगों ने केन्द्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के लोगों का साथ देने का निर्णय लिया, इसके लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया। मैंने इस विषय की तह तक जाकर अध्ययन किया है ये समझना गलत होगा कि ऐसा अध्यादेश केवल दिल्ली के संदर्भ में ही लाया जा सकता है। Concurrent list में दिए गए किसी भी विषय के सारे अधिकार ऐसा ही अध्यादेश लाकर केन्द्र सरकार किसी भी पूर्ण राज्य से भी छीन सकती है। केन्द्र सरकार ऐसा ही अध्यादेश लाकर किसी भी पूर्ण राज्य के बिजली, शिक्षा, व्यापार आदि विषयों पर से पूर्ण रूप से अधिकारी छीन सकती है। केन्द्र सरकार ने दिल्ली के संदर्भ में ऐसा अध्यादेश लाकर एक प्रयोग किया है। यदि केन्द्र सरकार इस प्रयोग सफल हो जाती है तो फिर वो एक एक करके सभी गैर बीजेपी राज्यों के लिए भी ऐसे ही अध्यादेश जारी करके Concurrent list में दिए गए सभी विषयों से राज्यों के अधिकारी छीन लेगी।
इसी लिए ये बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है कि सभी पार्टियाँ और सभी लोग मिलकर इसे किसी हालत में संसद में पास न होने दें। यदि यह अध्यादेश दिल्ली में ये लागू हो जाता है तो एक एक करके सभी राज्यों में जनतंत्र खत्म कर दिया जाएगा। वो दिन दूर नहीं जब प्रधानमन्त्री 33 राज्पालों / LG के माध्यम से सभी राज्य सरकारें चलायेंगे। दिल्ली में जनतंत्र खत्म हो जाएगा। फिर दिल्ली वाले जो मर्जी सरकार चुनें, उसकी कोई पॉवर नहीं होगी। इसलिए 23 जून को पटना में जब सभी पार्टियों की मीटिंग है तो मेरा आपसे आग्रह है कि इस मीटिंग में इस अध्यादेश पर सभी पार्टियों का स्टैंड और इसे संसद में हराने की रणनीति पर सबसे पहले चर्चा हो।
ये है पूरा मामला
दरअसल पूरा मामला दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार से जुड़ा हुआ है। ये अधिकार दिल्ली के LG के पास था। मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को ये अधिकार देने का आदेश दिया। जिसके बाद केंद्र सरकार LG को अधिकार देने को लेकर अध्यादेश लाने जा रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चाहते है कि जब संसद में ये अध्यादेश आए तो विपक्षी पार्टियां इसका विरोध करें। इसको लेकर वो कई विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात भी कर चुके है। अब जब सभी विपक्षी दलों के नेता एक साथ एक बठक में शमील होने जा रहे हैं तो केजरीवाल की मांग है कि इस विषय पर भी चर्चा जरुर हो।
कांग्रेस से कैसे बनेगी बात?
अध्यादेश के खिलाफ में केजरीवाल को कुछ दलों का समर्थन मिल भी जाएगा लेकिन मामला कांग्रेस पर आकर अटकता दिखता है। केजरीवाल पहले ही समर्थन की मांग को लेकर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से मिलना चाहते थे। लेकिन खबर ऐसी है कि कांग्रेस केजरीवाल के समर्थन में नहीं है इसलिए मिलने को भी कन्नी कट ली। कई बड़े कांग्रेसी नेता तो खुले तौर पर कह चुके हैं कि कांग्रेस अध्यादेश का विरोध नहीं करेगी। अब ये देखना खास होगा की विपक्षी एकता बैठक में केजरीवाल की मांग मानी जाती है या नहीं। अगर मांग मान कर चर्चा होती भी है तो क्या कांग्रेस राजी होगी?