नीतीश कुमार और भाजपा का संबंध तो पुराना रहा है। सालों तक संबंध चलने के बाद पहली बार अलगाव 2013 में हुआ। तब अलगाव का कारण नरेंद्र मोदी थे, जिन्हें भाजपा ने पीएम उम्मीदवार के तौर पर आगे कर दिया था। इसके बाद 2017 में फिर भाजपा और नीतीश करीब आ गए। लेकिन 2022 में नीतीश कुमार फिर भाजपा से अलग हो गए। इस बार का कारण अलग था। लेकिन जिस कारण से नीतीश कुमार भाजपा से अलग हुए थे, अब नीतीश कुमार की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह उसी भाषा में जीतन राम मांझी से बात कर रहे हैं।
हमारा अस्तित्व खत्म करना चाह रहे नीतीश: इस्तीफे के बाद बोले संतोष – हर हाल में पार्टी बचाकर रखेंगे…
छोटे दल किसी को बर्दाश्त नहीं
दरअसल, 2022 में जब भाजपा और नीतीश अलग हुए थे तो तात्कालिक कारण भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का एक बयान भी बना था। उसमें नड्डा ने कहा था कि क्षेत्रीय दलों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। जदयू को यही बात दिल पर लग गई है। जदयू के नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर कहना शुरू किया कि भाजपा क्षेत्रीय दलों को समाप्त करना चाहती है, जो लोकतंत्र की ह’त्या है। लेकिन आज जब जीतन राम मांझी की पार्टी महागठबंधन से अलग हो रही है तो जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी यही बात कर रहे हैं।
हम को बताया ‘छोटी दुकान’
JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि कितना छोटा-छोटा दुकान चलेगा। हम मांझी जी की पार्टी का विलय चाहते थे, जिसके लिए वे तैयार नहीं हुए। इधर, हम के अध्यक्ष संतोष सुमन ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। संतोष सुमन के इस्तीफे को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंजूर भी कर लिया है। इस्तीफे के बाद संतोष मांझी ने कहा था कि नीतीश कुमार हम का जेडीयू में विलय करने का दबाव बना रहे थे। वहीं ललन सिंह का कहना है कि मांझी जी ने कहा है कि निजी कारणों से साथ चलने में असमर्थ हैं। इसलिए हम लोग मानते हैं कि उन्होंने महागठबंधन छोड़ दिया। विलय करने की बात थी। यदि आप पार्टी अलग चला रहे हैं। अलग-अलग छोटा छोटा दुकान चलाने से क्या फायदा है। उन्होंने कहा कि हम आपके साथ आगे चलने में असमर्थ हैं।