[Team Insider]: आज महागठबंधन के दलों का संयुक्त प्रेस (joint press) का बयान जारी किया गया है। जारी बयान में कहा गया है कि आरआरबी-एनटीपीसी (RRB-NTPC) की परीक्षा के रिजल्ट में धांधली (result fraud) तथा ग्रुप डी की परीक्षा में एक की जगह दो परीक्षाएं आयोजित करने के तुगलकी फरमान के खिलाफ उठ खड़े छात्र-युवा आंदोलन (student youth movement) के प्रति सरकार का दमनात्मक रवैया घोर निंदनीय है। बर्बर पुलिसिया दमन, आंसू गैस, गिरफ्तारी व मुकदमे थोपकर सरकार आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रही है, जो कहीं से जायज नहीं है।
जांच कमिटी का झुनझुना थमा रही
आगे प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है कि तात्कालिक कारण रेलवे की एनटीपीसी (नन टेक्निकल पोपुलर कैटेगरी) 35277 पदों और ग्रुप डी की । लाख 3 हजार रिक्तियों की परीक्षा को लेकर है। स्नातक स्तरीय 35277 पदों के पीटी रिजल्ट को लेकर उठाए जा रहे सवाल को समझने में रेलवे प्रशसन को क्या दिक्कत है, जो वह जांच कमिटी का झुनझुना थमा रही है। पीटी परीक्षा में पदों का 20 गुणा रिजल्ट देना था।
एक से अधिक पदों पर चयनित हुए
रेलवे ने रिजल्ट भी इतना ही दिया है, लेकिन बड़ी संख्या में ऐस अभ्यर्थी हैं, जो एक से अधिक पदों पर चयनित हुए हैं। कोई एक अभ्यर्थी एक से अधिक पदों पर सफल हो सकता है, लेकिन वह एक अभ्यर्थी ही माना जाएगा इसलिए उसकी गिनती एक व्यक्ति के बतौर ही होनी चाहिए न कि अनेक। छात्र-युवाओं की 7 लाख संशोधित रिजल्ट फिर से प्रकाशित करने की मांग एकदम जायज है। इन 35 हजार रिक्तियों पर करीब सवा करोड़ आवेदन आए थें, लेकिन कोरोना महामारी के कारण परीक्षा में केवल 60 लाख अभ्यर्थी ही शामिल हो सके थें।
ग्रुप डी के मामले में मांग
ग्रुप डी के मामले में भी अभ्यर्थियों की साफ मांग है कि पहले के नोटिफिकेशन के आधार पर केवल एक परीक्षा ली जाए और दूसरे नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए। विदित हो कि रेलवे ने अचानक दूसरी परीक्षा लेने का भी नोटिफिकेशन निकाल दिया, जिसके कारण ग्रुप डी के लड़के आक्रोशित हुए। । लाख 3 हजार रिक्तियों पर एक करोड़ १7 लाख आवेदन आए हैं। आंदोलन के दबाव में रेल मंत्री का पहले मामले में जांच कमिटी बनाने और ग्रुप डी की परीक्षा को रद्द करने का आश्वासन मामले को टालने व उलझाने जैसा है।
चुनाव को देखते हुए रेल मंत्रालय उठाया कदम
जांच कमिटी को अपनी रिपोर्ट 4 मार्च तक जमा करने से साफ झलकता है कि उत्तरप्रदेश के चुनाव को देखते हुए रेल मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। बिहार के विगत विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार रोजगार एक बड़ा मुद्दा बना था, यूपी चुनाव के ठीक पहले छात्र-युवाओं का यह आंदोलन भाजपा के लिए सरदर्द बन रहा है। यदि सरकार सचमुच छात्र-युवाओं के सवालों के प्रति गंभीर होती, तो इन दोनों मामलों में उनकी मांगों को मान लेने में उसे कोई परेशानी ही नहीं होती।
आंदोलन का हर तरह से समर्थन
महागठबंधन के दल स्नातक स्तरीय परीक्षा में संशोधित 7 लाख रिजल्ट, ग्रुप डी में केवल एक परीक्षा और आंदोलन कर रहे छात्र-युवाओं के दमन पर रोक लगाते हुए उनपर थोपे गए मुकदमों की वापसी की मांग के साथ खड़ी है। उनके आंदोलन का हर तरह से समर्थन करती है तथा 28 जनवरी के बिहार बंद को सफल बनाने की अपील बिहार की जनता से करते हैं। सरकार छात्र-युवाओं के इस आक्रोश को समझे तथा धैर्य व संयम का परिचय देते हुए उनकी मांगों को अलिवंब हल करने की दिशा में बढ़े।