नीतीश कुमार और उनकी पार्टी ने जीतन राम मांझी और उनकी पार्टी को जदयू में शामिल होने का ऑफर दिया। मांझी और उनकी पार्टी ने ऑफर ठुकरा दिया। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार से किनारा कर लिया। यहां तक तो विरोध की बात बस हुई। लेकिन आगे बात बिगड़ गई। मांझी की पार्टी ने महागठबंधन छोड़ने की औपचारिक घोषणा नहीं की थी। लेकिन जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने उन्हें बाहर बता दिया। इसके बाद नीतीश कुमार ने तो मांझी पर विपक्षी दलों के बैठक की जासूसी करने की आशंका होने का आरोप मढ़ दिया। नीतीश कुमार के इस स्टेटमेंट पर मांझी की पार्टी बिफर गई है।
विपक्षी दलों से पहले बैठेगी नीतीश-लालू-ममता की तिकड़ी!
माफी मांगे नीतीश : HAM
राज्यपाल से मिलकर जीतन राम मांझी ने अपने पार्टी के समर्थन वापसी का पत्र सौंप दिया है। अब आने वाले कुछ दिन मांझी दिल्ली में रहेंगे। जबकि देश भर के विपक्षी नेताओं की बैठक 23 जून को पटना में होगी। नीतीश कुमार ने मांझी के सरकार से अलग होने के बाद कहा था कि विपक्षी दलों की बैठक में उनको इसीलिए नहीं बुलाया कि वो इधर की बात उधर बताते। अब मांझी की पार्टी ने इस आरोप को निधारा बताते हुए नीतीश कुमार से माफी की मांग की है।
“मानहानि का केस कर सकते हैं”
मांझी को मुखबिर कहने के आरोप पर उनकी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्याम सुंदर शरण ने कहा है कि सीएम नीतीश कुमार ने पूर्व सीएम जीतन राम मांझी का अपमान किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक श्याम सुंदर शरण ने कहा है कि “सीएम को अपने शब्द वापस लेने होंगे। मांझी को मुखबिर कहना, बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शरण ने कहा कि सीएम नीतीश उनसे माफी मांगें, नहीं तो उनके खिलाफ मानहानि का केस किया जाएगा।”