गोपालगंज में 5 दिसंबर 1994 के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा काट रहे बाहुबली नेता और सांसद आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती के आरोपों पर करारा प्रहार करते हुए आनंद मोहन ने कहा कि मायावती कौन हैं कहा कि हैं मैं किसी मायावती को नहीं जानता। आनंद मोहन बेटे की सगाई पर 15 दिन के पैरोल पर जेल से बाहर आए है।
बेटी की सगाई से ही मिलने लगे शुभ संकेत
पूर्व सांसद आनंद मोहन ने कहा कि बेटी और दामाद की सगाई से ही शुभ संकेत मिलने शुरू हो गए थे और बेटा-बहू की सगाई होते-होते रिहाई पर मुहर लग गई।
उन्होंने अपने लाखों समर्थकों को इसका क्रेडिट दिया हैं।
भौंकने वाले को जवाब देना आनंद मोहन की फितरत नहीं
रिहाई को लेकर यूपी की पूर्व सीएम मायावती की आपत्ति पर आनंद मोहन ने चैलेंज किया कि कोई भी एक ऐसी घटना ढूंढकर सामने ला दे, जिसमें आनंद मोहन ने कोई दलित विरोधी कदम उठाया हो। उन्होंने कहा कि हमने मजदूरों की लड़ाई से अपना संघर्ष शुरू किया। मायावती कौन हैं, कहां की हैं और कैसी हैं उनके बारे में मैं नहीं जानता हूं। जेल में रहने के दौरान सबकुछ भुला चुका हूं। उन्होंने कहा कि जो घटना हुई उसमें दोनों ही परिवारों को परेशानी झेलनी पड़ी है। पूरे मामले में सिर्फ और सिर्फ लवली आनंद और जी. कृष्णैया की पत्नी ने परेशानी झेली, बाकी लोगों ने झाल बजाने का काम किया हैं। राजनीतिक घटनाक्रमों के मुताबिक लोग अपनी अपनी परिभाषा गढ़ते रहे। उन्होंने कहा कि भौंकने वाले को जवाब देना आनंद मोहन की फितरत में नहीं है।
नीयती के खिलाफ खुद को छोड़ा
वहीं रिहाई के खिलाफ आईएएस लॉबी के एकजुट होने पर आनंद मोहन ने कहा कि घटना की सच्चाई को सभी राजनेता और बिहार के अधिकारी अच्छी तरह से जानते हैं। इसके साथ ही गिरफ्तारी पर सवाल उठाया जाने पर कहा कि, किसने क्या किया हैं यह वही जाने, हमने नीयती के खिलाफ खुद को छोड़ दिया था और पूरे धैर्य के साथ उम्रकैद की सजा काट रहे। वहीं सक्रिय राजनीति में आने के सवाल पर आनंद मोहन ने कहा कि फिलहाल इसपर कोई निर्णय नहीं लिया है। आने वाले समय में जैसी परिस्थियां बनेंगी, उस हिसाब से काम किया जाएगा।