लोकसभा चुनाव की तैयारी को दोतरफा से तीन-तरफा बनाने की गुंजाइश अभी भी बनी हुई है। एक तरफ NDA है तो दूसरी INDIA, लेकिन ऐसा भी नहीं कि ये दोनों गठबंधन हर दल को साध सके हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो अभी तक बाहर हैं और उनके दोनों में से किसी गठबंधन में एडजस्टमेंट की उम्मीद हर बीतते दिन के साथ टूट रही है। बिहार में ऐसे तीन दल हैं जो अभी भी बाहर हैं। इनमें मुकेश सहनी की वीआईपी, पप्पू यादव की जनाधिकार पार्टी और AIMIM शामिल है।
मुकेश सहनी हैं लीडिंग रोल में
वैसे तो मुकेश सहनी वैसे नेता हैं, जिनकी पार्टी बारी बारी से एनडीए और महागठबंधन का हिस्सा रह चुकी है। लोकसभा चुनाव 2019 में मुकेश सहनी तेजस्वी यादव के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे। तो 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव मुकेश सहनी ने भाजपा के साथ लड़ा। लेकिन 2024 के चुनाव में अब तक वे किसी पाले में नहीं गए हैं। संभावना है कि मुकेश सहनी उस तीसरे मोर्चे को लीड कर सकते हैं, जो अभी तक बनना संभावित है।
पप्पू यादव की एंट्री पर भी लगा है पहरा
पूर्व सांसद पप्पू यादव 2014 में राजद के टिकट पर जीते लेकिन ज्यादा दिन राजद में रह नहीं पाए। अपना संगठन बनाया और इस बार उनकी एक्टिविटीज बता रही है कि वे INDIA का हिस्सा होना चाहते हैं। लालू यादव के साथ उनकी मुलाकातें भी हुई हैं। लेकिन एंट्री पर अभी तक संशय ही बना हुआ है। ऐसे में INDIA में उन्हें एंट्री नहीं मिली तो उनके लिए अकेले लड़ने से बेहतर तीसरा मोर्चा बनाना होगा। ऐसा वे 2015 के विधानसभा चुनाव में भी कर चुके हैं।
AIMIM का तो खुला ऐलान
अभी तक AIMIM ही है जो खुला ऐलान कर रहा है कि तीसरे मोर्चे का गठन होना चाहिए। पार्टी के सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी तीसरे मोर्चे के गठन के लिए लगातार कोशिशें कर रहे हैं। पार्टी के पास बिहार में अभी एक विधायक है लेकिन AIMIM खुद को बिहार में कमजोर नहीं समझती। लेकिन अकेले लड़ने से कुछ भी हासिल होने में दिक्कत ज्यादा होगी। इसलिए संभावना यह रहेगी कि तीसरा मोर्चा अगर बनता है तो AIMIM उसका हिस्सा बनेगा।