नरकटियागंज के नगर व ग्रामीण क्षेत्र में शुक्रवार को वट सावित्री व्रत की हुई महिलाओं ने बरगद के पेड़ के नीचे पूजा अर्चना कर अपने पति की लंबी आयु की कामना की। इस व्रत में वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। वट वृक्ष को आयुर्वेद के अनुसार परिवार का वैद्य माना जाता है। प्राचीन ग्रंथ इसे महिलाओं के स्वास्थ्य से जोड़कर भी देखते हैं। संभवत: यही कारण है कि जब अपने परिवार के स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना हो, तो लोकसंस्कृति में वट वृक्ष की पूजा विधान से किया जाता है। बहुत से महिलाये उस दिन अंजल त्याग कर पूजा करती हैं।
महिलाएं सोलह सिंगार करके बरगद के पेड़ के पूजा करती हैं ऐसा माना जाता है कि इस पर्व को करने से महिलाओं को उनके पति की लंबी आयु होती है तथा घर में सुख शांति भी बना रहता है।इसलिए यह पूजा महिलाएं करती है। आचार्य मधुसूदन चतुर्वेदी ने कहा कि वट सावित्री व्रत अपने सौभाग्य की रक्षा के लिए ज्येष्ठ महीने के कृष्णपक्ष की अमावस्या को करती स्त्रिया करती हैं।कुछ स्थानों पर यह व्रत तेरस से अमावस्या तक तीन दिनों का होता है। इस व्रत में वट (वरगद) वृक्ष के नीचे लक्ष्मी नारायण के साथ सावित्री ,सत्यवान, यमराज, ब्रह्मा आदि देवताओं की पूजा की जाती है।
महाराज अश्वपति की बेटी सावित्री नें अपने पति के रुप में चरित्रवान सत्यवान का वरण किया। स्त्रियाँ इस व्रत को बड़ी ही श्रद्धा भाव एवं नियम निष्ठा से करती है। इस वर्ष तो सोमवती अमावस्या एवं सर्वार्थ सिद्धि योग से युक्त यह व्रत अति महत्वपूर्ण है।
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