बिहार में नियोजित शिक्षकों के खिलाफ हो रही कार्रवाई का मामला गरमा गया है। अब इस मामले को लेकर टीईटी शिक्षक संघ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाज खटखटाया है। संघ ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक एवं विभिन्न जिलों के शिक्षा पदाधिकारियों द्वरा जारी पत्रों को निरस्त करवाने की मांग की है। गौरतलब है कि शिक्षा विभाग ने 11 जुलाई को पटना के गर्दनीबाग में शिक्षकों के प्रदर्शन में शामिल शिक्षकों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। वीडियो फुटेज से सभी शिक्षकों की पहचान की जा रही है। उनके खिलाफ सस्पेंशन की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
शिक्षकों के गैर हाजिर मिलने पर कार्रवाई के आदेश
केके पाठक ने अपने आदेश में सभी डीएम से कहा है कि निरीक्षण में जो शिक्षक अनुपस्थित मिलें, उन्हें निलंबित करते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए नियोजन इकाई को लिखें। साथ ही जो शिक्षक अन्य लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं, उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराएं।
हाईकोर्ट में भी अपील दायर करेगा टीईटी शिक्षक संघ
शिक्षा विभाग के इस कार्रवाई के आदेश पर टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि कारवाई और कारवाई की धमकी भरे मनमाने पत्रों से परेशान होने की जरूरत नही है। उन्होंने कहा कि सरकार निरंकुश हो गई है। हिटलरशाही और तानाशाह की तरह व्यावहार कर रही है। सरकार के सारे आदेश गैरकानूनी और असंवैधानिक हैं। शिक्षकों अधिकारों का हनन हो रहा है। इसको लेकर टीईटी शिक्षक संघ ने मानवाधिकार आयोग में परिवाद दायर की है। इस मामले में टीईटी शिक्षक संघ हाईकोर्ट में भी अपील दायर करेंगे। टीईटी शिक्षक संघ किसी भी विभागीय कारवाई का पुरजोर प्रतिवाद करती है।