InsiderLive: केंद्र सरकार के सबसे बड़े थिंक टैंक नीति आयोग की हेल्दी स्टेट्स प्रोग्रेसिव इंडिया-हेल्थ इंडेक्स राउंड -4 में बिहार उन राज्यों में शामिल है जहां स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पिछड़ी हुई हैं। स्वास्थ्य के पैमानों पर बिहार का स्थान सभी बड़े राज्यों में नीचे से दूसरा है। सरकार के तमाम दावों के बावजूद बिहार की यह स्थिति बताती है कि जमीनी स्तर पर अभी भी काफी काम बाकी है।
बिहार देश के 19 बड़े राज्यों में 18वें स्थान पर
रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार देश के 19 बड़े राज्यों में 18वें स्थान पर है। हम आपको तीन बड़े कारण बता रहे हैं जिस वजह से इस रिपोर्ट में बिहार की रैंकिंग खराब हुई है। यहां बता दें कि नीति आयोग ने जोरिपोर्ट जारी की है उसका बेस इयर 2018-19 है जबकि रेफ्रेंस ईयर 2019-20 है। यानि 2018-19 में जो स्थिति थी उसकी तुलना 2019-20 से की गई है। नीति आयोग के मुताबिक हेल्थ इंडेक्स के लिए चार राउंड का सर्वे किया गया था। इसी हिसाब से स्कोरिंग की गई। चारों राउंड में बिहार का स्कोर 100 में 31 रहा। सुधार को देखें तो पिछली बार से 0.76 अंक ही सुधार हुआ है। आयोग के अनुसार बिहार उन पांच राज्यों में जहां सुधार काफी कम हुआ है। इनमें बिहार के अलावा उड़ीसा, उत्तराखंड, अंडमान एंड निकोबार तथा पुडुचेरी हैं।
सेक्स रेशियो एट बर्थ
बिहार में लड़के व लड़कियों के जन्म में बड़ा अंतर सामने आया है। 1 साल के अंदर इसमें 5 प्वाइंट की गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2019-20 में प्रति एक हजार लड़कों के जन्म पर बिहार में 895 लड़कियों का जन्म हुआ है। जबकि 2018-19 में यह 890 था। इसमें लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है जिसने सरकार की परेशानी बढ़ाई है।
फुल इम्यूनाइजेशन
बच्चों के टीकाकरण में बिहार पिछड़ रहा है। इसमें पिछले एक साल में 4.07 अंक की गिरावट दर्ज की गई है। यानि 9-11 महीने के बच्चे जिन्हें बीसीजी, डीपीटी, ओपीवी इत्यादि का टीका लगना अनिवार्य है उसमें कमी आई है। बच्चों का टीकाकरण इस इंडेक्स में एक बड़ा पैमाना है।