23 जून को बिहार में होने वाली विपक्षी एकता वाली बैठक को लेकर सियासी माहौल टाईट है। बैठक में कई विपक्षी दलों के शीर्ष नेता शामिल होंगे। लेकिन विपक्षी एकता वाली बैठक के पहले एक और बैठक का होना तय माना जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठक से एक दिन पहले यानि 22 जून को ही पटना पहुंच रही हैं। इसके पीछे भी उनकी एक बड़ी रणनीति मानी जा रही है। ऐसी खबर है कि बैठक के एक दिन पहले ही वो नीतीश कुमार और लालू यादव के साथ अलग-अलग बैठक कर सकती है। मतलब विपक्षी दलों से पहले नीतीश-लालू और ममता की तिकड़ी बैठेगी।
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पूर्व रेल मंत्रियों से पटरी पर आएगी विपक्षी एकता की रेल?
लालू यादव और नीतीश कुमार से ममता बनर्जी के काफी पुराने राजनीतिक संबंध है। तीनों नेताओं में एक और समानता ये भी है कि तीनों रेल मंत्री रह चुके हैं। अब विपक्षी एकता वाली रेल को पटरी पर लाने के लिए तीनों जुटे हुए हैं। ऐसे में विपक्षी दलों की बैठक से एक दिन पहले लालू और नीतीश से ममता की मुलाकात काफी खास होगी। ऐसी चर्चा है कि इस मुलाकात में विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की रणनीति, विपक्षी दलों की बैठक में क्या कुछ किया जाना है उसकी रणनीति बनने सहित प्रधानमंत्री पद के चेहरे के तौर पर विपक्ष की ओर से किसी खास चेहरे को तबज्जो नहीं देने के मसले पर चर्चा हो सकती है।
ममता की सलाह पर आयोजक बने नीतीश
नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने के उद्देश्य से कई बार अलग-अलग विपक्षी दलों के नेताओं से मिले। अब वो विपक्षी एकता वाली बैठक के आयोजक की भूमिका में हैं। विपक्षी दलों के नेताओं का 23 जून को राजधानी पटना में जुटान होना है। लेकिन अगर ये कहा जाए कि नीतीश कुमार के आयोजक बनने के पीछे ममता बनर्जी की सलाह है तो गलत नहीं होगा। दरअसल जब नीतीश कुमार विपक्षी एकता अभियान के तहत ममता बनर्जी से मिलने पश्चिम बंगाल पहुंचे थे तभी ममता बनर्जी ने उन्हें पटना में सभी विपक्षी दलों की बैठक बुलाने की सलाह दी थी।
जिसके बाद नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों के नेताओं से मिल कर उन्हें बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। इसलिए अब जब ममता बनर्जी की सलाह पर बैठक होने जा रही है, उससे पहले भी लालू यादव और नीतीश कुमार से मिलकर ममता बनर्जी सलाह मशवरा कर सकती हैं।